अनूपपुर (मध्य प्रदेश)
एक हालिया मे मिली जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में स्थित अमरकंटक जंगल के पेड़ों को साल बोरर खत्म कर रहे है। इनके बढ़ रहे भयानक प्रकोप के कारण हजारों की संख्या में बेशकीमती साल के वृक्ष सूखकर गिर रहे हैं, जो न केवल वनों के लिए, बल्कि पूरे पारिस्थितिक तंत्र के लिए चिंता का विषय है।
साल के पेड़ों को खोखला कर रहे है साल बोरर
साल बोरर, जिसका वैज्ञानिक नाम हॉप्लोसेरामबिक्स स्पिनिकोर्निस न्यूमैन है। ये साल के पेड़ों के लिए सबसे विनाशकारी कीटों में से एक माने जाते है। यह कीट वृक्ष की आंतरिक परत (हार्टवुड) को खाकर उसे खोखला कर देता है, जिससे पेड़ धीरे-धीरे सूख जाते हैं और अंततः गिर जाते हैं।
संक्रमित पेड़ों के तने से बुरादा जैसा पदार्थ निकलता देखा जा सकता है, जो कीट के हमले का स्पष्ट संकेत है।वर्तमान प्रकोप की तीव्रता चिंताजनक है क्योंकि यह घटना पहले भी हो चुकी है, जिसने अतीत में बड़े पैमाने पर साल वनों को नुकसान पहुँचाया था। इस कीट का प्रकोप केवल जंगल तक ही सीमित नहीं है, बल्कि शहर के आस-पास के वर्षों पुराने पेड़ों को भी अपनी चपेट में ले रहा है।

पारिस्थितिक तंत्र के लिए खतरा बन रहे साल बोरर
अमरकंटक क्षेत्र की जैव विविधता और पर्यावरण में साल के जंगलों का महत्वपूर्ण योगदान है। ये जंगल कई जलस्रोतों को पोषित करते हैं और वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास हैं। इन वृक्षों के सूखने से जंगल कम हो रहे हैं, जिसका सीधा असर नदियों के जलस्तर और वन्य प्राणियों पर पड़ रहा है। इसके अलावा, साल के पेड़ आर्थिक रूप से भी महत्वपूर्ण होते हैं, और इस प्रकोप से बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है।
वन विभाग की चुनौतियाँ और समाधान
वन विभाग के सामने इस महामारी को नियंत्रित करना एक बड़ी चुनौती है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस कीट से बचाव के लिए कई उपाय सुझाए गए हैं। एक प्रमुख समाधान संक्रमित पेड़ों की तत्काल कटाई और उन्हें नष्ट करना है, ताकि कीटों को अन्य स्वस्थ पेड़ों में फैलने से रोका जा सके। इसके अलावा, कार्बो फेरान जैसे कीटनाशकों का प्रयोग/छिड़काव भी नियंत्रण के लिए किया जाता है।
हालांकि, पर्यावरणविदों का कहना है कि पिछली बार के प्रकोप (1990 के दशक) के दौरान वन नौकरशाही की निष्क्रियता के कारण समस्या महामारी का रूप ले चुकी थी, और जब तक अधिकारी जागे, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। इस बार अधिकारियों को इस प्रकोप को गंभीरता से लेते हुए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि अमरकंटक के अनमोल वन संपदा को बचाया जा सके। स्थानीय निवासियों और पर्यावरण संगठनों ने वन विभाग से इस मामले में शीघ्र हस्तक्षेप की मांग की है।
Author Profile

Latest entries
UncategorizedDecember 28, 2025संजय टाइगर रिजर्व में न्यू ईयर का क्रेज, 5 जनवरी तक सभी सफारी बुकिंग हुईं फुल
UncategorizedDecember 28, 2025जंगली सूअर ने किया वन दारोगा पर हमला, हालत गंभीर
UncategorizedDecember 25, 2025पेंच की बाघिन का ‘हवाई सफर’….
UncategorizedDecember 23, 2025JU में जैवविविधता और जलवायु परिवर्तन पर दो-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ
