राजगढ़ (मध्य प्रदेश)
मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में वन विभाग के डिप्टी रेंजर मोहन सिंह सोनगिरा को अवैध आरा मशीनों पर कार्रवाई करने के बाद जान से मारने की धमकी मिली है। डिप्टी रेंजर ने शिकायत दर्ज कराई है कि उन्हें और उनके परिवार को स्थानीय विधायक के समर्थकों द्वारा “गर्दन और प्राइवेट पार्ट” काटने की धमकी दी गई है।
अवैध लकड़ी कटाई पर किया था कार्रवाई
वन विभाग की टीम ने राजगढ़ जिले के खिलचीपुर क्षेत्र के छापीहेड़ा में अवैध लकड़ी कटाई और बिना परमिट संचालित हो रही चार आरा मशीनों पर छापेमारी की कार्रवाई की थी। इस टीम में डिप्टी रेंजर मोहन सिंह सोनगिरा भी शामिल थे। कार्रवाई के दौरान वन विभाग ने आरा मशीनों को सील कर दिया और अवैध रूप से रखी गई लकड़ी को जब्त कर लिया।
इस कार्रवाई से नाराज होकर अवैध कारोबार में लिप्त लोगों ने डिप्टी रेंजर को निशाना बनाया। सोनगिरा ने राजगढ़ थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने बताया कि उन्हें जान से मारने की धमकी मिल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि धमकी देने वाले खुद को खिलचीपुर विधायक हजारीलाल दांगी का समर्थक बता रहे हैं। डिप्टी रेंजर ने पुलिस को बताया कि आरोपियों ने उन्हें जीरापुर न आने की धमकी दी है और कहा है कि यदि वह वहां आए, तो उनका गला और गुप्तांग काट देंगे।

डिप्टी रेंजर का बयान और विधायक की सफाई
डिप्टी रेंजर मोहन सिंह सोनगिरा ने अपनी शिकायत में रोते हुए अपनी जान का खतरा बताया और पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि अवैध लकड़ी का कारोबार करने वालों पर कानूनी कार्रवाई करने के कारण उनकी जान जोखिम में है।
वहीं, इस मामले में नाम सामने आने के बाद खिलचीपुर विधायक हजारीलाल दांगी ने अपनी सफाई दी है। विधायक ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उन्होंने किसी पर दबाव नहीं बनाया है और न ही धमकी देने वालों से उनका कोई सीधा संबंध है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कानून अपना काम कर रहा है और यदि किसी ने अवैध गतिविधि की है, तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए।
क्या हो रहीं है इस मामले मे पुलिस कार्रवाई
शिकायत के आधार पर, राजगढ़ पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने डिप्टी रेंजर को सुरक्षा प्रदान की है और मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपियों की तलाश की जा रही है। वन विभाग के अधिकारियों ने भी इस घटना की निंदा की है और अपने कर्मचारी के समर्थन में खड़े हैं।
यह घटना मध्य प्रदेश में वन माफियाओं और सरकारी अधिकारियों के बीच टकराव के बढ़ते मामलों को उजागर करती है। अक्सर अवैध खनन और कटाई रोकने वाले अधिकारियों को धमकियों और हमलों का सामना करना पड़ता है। इस मामले ने वन विभाग के कर्मचारियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
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