महाराष्ट्र
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) ने गुरुवार को महाराष्ट्र वन विभाग (एमएफडी) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके तहत ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व (टीएटीआर) और पेंच टाइगर रिजर्व (पीटीआर) से आठ बाघों (तीन नर और पांच मादा) को पश्चिमी घाट के सह्याद्री टाइगर रिजर्व में स्थानांतरण किया जाएगा।
महाराष्ट्र विदर्भ में बाघों की अधिकता को कम करने का है उदेश्य
इस ऐतिहासिक कदम को विदर्भ क्षेत्र मे वन्यजीव प्रबंधन के उठाया गया है। विदर्भ क्षेत्र मे वन्यजीवों के संघर्षों को कम करने और सह्याद्री को एक समृद्ध बाघ आवास के रूप में स्थापित करने की योजना है।
आंकड़ों के अनुसार अकेले ताड़ोबा-अंधारी बाघ अभयारण्य में 95 बाघ हैं, जबकि चंद्रपुर जिले में 250 बाघ हैं। ज्यादा संखया के कारण अक्सर उनमे शिकार के लिए संघर्ष होते रहते हैं, जिनमें से कुछ घातक भी होते हैं। पिछले हफ़्ते ही, एक बाघ की मौत हो गई और एक अन्य बाघ गंभीर रूप से घायल हो गया।
सह्याद्रि मे वर्तमान मे है केवल तीन बाघ
यह योजना सह्याद्री बाघ अभयारण्य में बाघों की आबादी और आनुवंशिक प्रजनन को पुनर्जीवित करने का है। कोंकण और सतारा क्षेत्रों मे फैला सह्याद्री बाघ अभयारण्य महाराष्ट्र के पश्चिमी भाग का एकमात्र बाघ अभयारण्य है, जहां वर्तमान में केवल तीन स्थानीय बाघ और कर्नाटक व गोवा से कभी-कभार आने वाले नौ बाघ हैं। तीनों ही नर बाघ हैं इससे सह्याद्रि में प्रजनन शून्य था, जिससे संरक्षणवादियों के लिए चिंता का विषय था। इस स्थानांतरण की योजना इसी चिंतित विषय के सिफारिश पर की गई है। हालांकि दिसंबर तक तक दो बाघिनें को मी एसटीआर में लाने की उम्मीद है।

प्रोटोकॉल के तहत किया जाएगा स्थानांतरण
बाघों को प्रोटोकॉल फाॅलो करते हुए स्थानांतरित किया जाएगा। बाघों को पकड़ने और स्थानांतरित करने के सभी चरणों को पशु चिकित्सा की देखभाल मे रखकर किया जाएगा जिससे किसी परेशानी का सामना न करना पड़े। और यदि इस प्रक्रिया के दौरान कोई दुर्घटना होती है जिससे बाघों की सुरक्षा खतरे में पड़ती है तो वन विभाग द्वारा इस स्थानांतरण को रद्द भी कर दिया जा सकता है।
हालाँकि, वन्यजीव संरक्षण ट्रस्ट के बाघ विशेषज्ञ डॉ. अनीश अंधेरिया ने इसपर संदेह भी जताया है। उन्होंने चेतावनी दी कि सह्याद्री की स्थलाकृति, वर्षा, शिकार घनत्व और सामुदायिक दृष्टिकोण विदर्भ से बिल्कुल अलग हैं। सीमित शिकार के कारण, स्थानांतरित बाघ मवेशियों का शिकार कर सकते हैं, जिससे संघर्ष छिड़ सकता है।
सह्याद्री टाइगर रिज़र्व के क्षेत्र निदेशक तुषार चव्हाण ने कहा- ‘बाघों के स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है और जल्द से जल्द इसे सकुशल पूरा करने पर जोर दिया जा रहा है।’
Author Profile

Latest entries
UncategorizedDecember 25, 2025पेंच की बाघिन का ‘हवाई सफर’….
UncategorizedDecember 23, 2025JU में जैवविविधता और जलवायु परिवर्तन पर दो-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ
UncategorizedDecember 20, 2025हरदा बालाघाट के बांस के फर्नीचर एवं सजावट के सामान को लोगों ने सराहा
UncategorizedDecember 18, 2025सांभर झील का ‘गुलाबी अवतार’
