उत्तराखंड मे ‘भालूओं का खौफ’

देहरादून (उत्तराखंड)

इस साल उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में भालुओं के हमलों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, विशेषकर पौड़ी गढ़वाल, चमोली और पिथौरागढ़ जिलों में, जहा इस कारण लोगो मे खासा दहशत फैल गई है।

मानव-भालू संघर्ष में इस वृद्धि ने वन विभाग और स्थानीय निवासियों के लिए गंभीर चिंता पैदा कर दी है, जिसके चलते इस साल पहली बार किसी आक्रामक भालू को ‘देखते ही गोली मारने’ के आदेश जारी किया गया हैं। इस साल प्रदेश मे लगभग 100 से भी अधिक हमले देखने को मिले है, जिनमे से 7 लोगो ने अपनी जान गवा दी।

हाल ही मे हुए हमलों की जानकारी

नवीनतम समाचारों के अनुसार, उत्तराखंड में पिछले तीन महीनों में भालुओं द्वारा किए गए हमलों में एकाएक वृद्धि हुई है।

कुल हमले: पिछले तीन महीनों में (अगस्त 2025 से नवंबर 2025 तक) भालुओं के हमले की लगभग 71 घटनाएँ दर्ज की गई हैं।

मौतें: इस अवधि में भालू के हमलों में 6 से 7 लोगों की जान चली गई है, जबकि 25 सालों में कुल 71 मौतें दर्ज की गई हैं।

घायल: लगभग 2,000 लोग घायल हुए हैं, और 60 से अधिक पशुधन मारे गए हैं।

ताज़ा घटनाएँ: नवंबर 2025 में ही कई ताज़ा हमले हुए हैं। 20 नवंबर को, चमोली में एक महिला गंभीर रूप से घायल हो गई, जिसे एम्स ऋषिकेश एयरलिफ्ट करना पड़ा।पौड़ी गढ़वाल के बीरोंखाल क्षेत्र में भी 17 नवंबर को एक महिला भालू के हमले में अपनी एक आँख खो बैठी।

क्या है उनकी आक्रामकता का मुख्य कारण

पर्यावरणविदों और विशेषज्ञों का मानना है कि भालुओं की बढ़ती आक्रामकता के पीछे मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन है।

जलवायु परिवर्तन: ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान में वृद्धि हो रही है, जिससे हिमालयी काला भालू अपनी प्राकृतिक शीतनिद्रा पूरी नहीं कर पा रहा है। नींद पूरी न होने से भालू चिड़चिड़े और आक्रामक हो रहे हैं।

आवास का नुकसान: मानवीय दखलअंदाजी और जंगलों के सिकुड़ने से भालू भोजन की तलाश में ग्रामीण और रिहायशी इलाकों में घुस रहे हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ रहा है।

व्यवहार में बदलाव: कभी शाकाहारी माने जाने वाले भालू अब सर्वाहारी बन रहे हैं और भोजन के लिए इंसानी बस्तियों की ओर रुख कर रहे हैं।

वन विभाग के कदम

बढ़ते आतंक से निपटने के लिए वन विभाग ने कुछ अभूतपूर्व कदम उठाए हैं:

●’देखते ही गोली मारने’ के आदेश: पौड़ी जिले के एक विशेष भालू, जिसने कई लोगों पर हमला किया, को मारने के आदेश जारी किए गए हैं। यह उत्तराखंड में पहली बार है जब किसी भालू के लिए ऐसे आदेश दिए गए हैं।

गश्त: प्रभावित गांवों, जैसे पौड़ी के भदनी गांव, में वन विभाग की टीमें लगातार गश्त कर रही हैं ताकि ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

मुआवज़ा: राज्य सरकार ने वन्यजीवों के हमले में जान गंवाने पर मिलने वाले मुआवज़े को बढ़ाकर 10 लाख रुपये तक कर दिया है, ताकि पीड़ितों के परिवारों को कुछ आर्थिक सहायता मिल सके।

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The Forest Times
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