उपद्रवी बंदर को पकड़कर ले आओ, 600 रूपए इनाम ले जाओ

मुंबई (महाराष्ट्र)

जी हा बिल्कुल सही पढ़ा आपने। यह पहल महाराष्ट्र वन विभाग द्वारा शुरू की गई है, जहा उपद्रवी बंदर को पकड़ने के बदले 600 रूपए का इनाम दिया जाएगा।

विभाग ने यह कदम राज्य मे मानव-बंदर संघर्ष को कम करने से उद्देश्य से उठाया है। हालांकि यह योजना केवल प्रशिक्षित और प्रमाणित व्यक्तियों या टीमों के लिए शुरू की गई है, न कि आम जन के लिए।

वन विभाग द्वारा शुरू की गई इस पहल के तहत, उपद्रवी बंदरों को पकड़ने और उन्हें मानव बस्तियों से दूर सुरक्षित वन क्षेत्रों में छोड़ने के लिए प्रशिक्षित टीमों या व्यक्ति को अधिक आर्थिक प्रोत्साहन दिया जाएगा।

समस्या की गंभीरता

कोंकण क्षेत्र सहित महाराष्ट्र के कई जिलों मे बंदरों का उत्पात काफी हद तक बढ़ गया है। बंदर घरों और कृषि को नुकसान पहुँचा रहे हैं, साथ ही लोगों पर हमले भी कर रहे हैं, जिससे स्थानीय निवासियों में भय और चिंता का माहौल है। इस गंभीर होती समस्या से निपटने के लिए, वन विभाग ने सरकार से दिशानिर्देश मांगे थे, जिसके बाद यह नई योजना शुरू की गई है।

योजना का विवरण

नई योजना के तहत, केवल प्रशिक्षित और प्रमाणित व्यक्तियों या टीमों को ही बंदरों को पकड़ने की अनुमति होगी। सुरक्षा पर विशेष जोर दिया गया है, और विभाग ने स्पष्ट किया है कि पकड़ने के दौरान किसी भी चोट के लिए विभाग जिम्मेदार नहीं होगा।

बंदर पकड़ने वालों को पहले 10 बंदरों के लिए ₹600 प्रति बंदर का भुगतान किया जाएगा। यदि 10 से अधिक बंदर पकड़े जाते हैं, तो उसके बाद प्रत्येक बंदर के लिए ₹300 दिए जाएंगे, जिसकी अधिकतम सीमा ₹10,000 प्रति अभियान होगी। पारदर्शिता बनाए रखने के लिए, प्रत्येक बंदर को पकड़ने का एक वीडियो रिकॉर्डिंग और स्थानांतरण से पहले एक तस्वीर अनिवार्य है।

पकड़े गए बंदरों का प्राथमिक चिकित्सा मूल्यांकन किया जाएगा और फिर उन्हें मानव निवास से कम से कम 10 किलोमीटर दूर एक उपयुक्त वन क्षेत्र में छोड़ा जाएगा, ताकि वे आसानी से वापस न आ सकें। वन अधिकारी और पकड़ने वाला व्यक्ति संयुक्त रूप से एक रिहाई प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करेंगे। यहा तक कि पाँच बंदरों तक के छोटे अभियानों के लिए ₹1,000 का यात्रा भत्ता भी निर्धारित किया गया है।

विशेषज्ञों की चिंता

हालांकि सरकार की मंशा नेक है, लेकिन वन्यजीव संरक्षणवादियों ने इस प्रस्ताव पर कुछ चिंताएँ जताई हैं। उनका तर्क है कि यह योजना नेक इरादे वाली होने के बावजूद कुछ हद तक भ्रमित करने वाली और अधूरी है। यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि बड़ी आबादी वाले क्षेत्रों में इस योजना को प्रभावी ढंग से कैसे लागू किया जाएगा और क्या यह वास्तव में दीर्घकालिक समाधान प्रदान करेगी।

इस पहल के माध्यम से, महाराष्ट्र सरकार को उम्मीद है कि मानव और बंदरों के बीच टकराव को कम किया जा सकेगा और दोनों के सह-अस्तित्व के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाया जा सकेगा। स्थानीय नागरिक निकायों और वन अधिकारियों के बीच घनिष्ठ समन्वय इस योजना की सफलता के लिए महत्वपूर्ण होगा।

Author Profile

The Forest Times
The Forest Times

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top