ओडिशा के डेब्रिगढ़ अभयारण्य के लिए 71 करोड़ रुपए की परियोजना को मिली मंजूरी

भुवनेश्वर (ओडिशा)

ओडिशा सरकार ने हाल ही में बरगढ़ जिले में स्थित प्रसिद्ध देब्रिगढ़ वन्यजीव अभयारण्य को एक विश्वस्तरीय अंतर्राष्ट्रीय इको-टूरिज्म गंतव्य के रूप में विकसित करने के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना को हरी झंडी दे दी है।

इस परियोजना के लिए ₹71.19 करोड़ रुपए की परियोजना को मंजूरी मिली है। इस पहल का उद्देश्य क्षेत्र में वन्यजीव संरक्षण को मजबूत करने के साथ-साथ पर्यटन को बढ़ावा देना और स्थानीय समुदायों के लिए नए रोजगार के अवसर पैदा करना है।

परियोजना का मुख्य उद्देश्य

इस व्यापक विकास योजना का मुख्य फोकस देब्रिगढ़ के प्राकृतिक सौंदर्य को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना है। परियोजना के तहत, अभयारण्य के भीतर और आसपास स्थायी बुनियादी ढांचे का विकास किया जाएगा, जिससे पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ेंगी और वन्यजीवों के लिए बेहतर आवास सुनिश्चित हो सकेगा।

मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने पर विशेष ध्यान

वन और पर्यावरण विभाग द्वारा अनुमोदित इस डीपीआर में एक महत्वपूर्ण घटक मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करना है। इसके लिए, अभयारण्य की लगभग 100 किलोमीटर की परिधि में एक बाड़ के निर्माण के लिए अतिरिक्त ₹14.18 करोड़ का प्रावधान किया गया है।

इस राशि को CAMPA या अन्य राज्य सरकारी निधियों के माध्यम से अलग से वित्तपोषित किया जाएगा। यह बैरियर वन्यजीवों की आवाजाही को पूरी तरह से बाधित नहीं करेगा, बल्कि इसे इस तरह से डिज़ाइन किया जाएगा ताकि जानवरों का सुरक्षित गलियारों के माध्यम से आना-जाना सुनिश्चित हो सके।

स्थानीय समुदाय सशक्तिकरण और आर्थिक लाभ

देब्रिगढ़ इको-टूरिज्म मॉडल पहले से ही अपनी सफलता के लिए जाना जाता है, जहां राजस्व का एक बड़ा हिस्सा स्थानीय समुदायों के बीच साझा किया जाता है। नई परियोजना इस मॉडल को और मजबूत करेगी, जिससे स्थानीय लोगों के लिए आजीविका के अवसर बढ़ेंगे।

वर्तमान में, अभयारण्य ने ओडिशा के सभी इको-टूरिज्म स्थलों में सबसे अधिक राजस्व अर्जित किया है, जिसका प्रबंधन काफी हद तक स्थानीय निवासियों द्वारा किया जाता है।

अभयारण्य की अनूठी विशेषताएँ

ओडिशा के बरगढ़ जिले में हीराकुंड बांध के पास स्थित, देब्रिगढ़ वन्यजीव अभयारण्य लगभग 347 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह अपने समृद्ध जैव विविधता के लिए जाना जाता है, जिसमें भारतीय बाइसन (गौर), सांभर, तेंदुए, और पक्षियों की विभिन्न प्रजातियाँ शामिल हैं। इसका ऐतिहासिक महत्व भी है, क्योंकि यह प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी वीर सुरेंद्र साईं का छिपने का स्थान था।

राज्य सरकार ने संबंधित विभागों को इस अनुमोदित डीपीआर के अनुसार तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया है, ताकि इस परियोजना का क्रियान्वयन शीघ्रता से शुरू हो सके और देब्रिगढ़ को जल्द ही एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित किया जा सके।

Author Profile

The Forest Times
The Forest Times

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top