किसी भी राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य के एक किमी दायरे मे प्रतिबंधित रहेंगी खनन गतिविधियां- सुप्रिम कोर्ट

नई दिल्ली

वन्यजीव संरक्षण और पारिस्थितिक संतुलन के तहत सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला लिया है। 13 नवंबर, 2025 को एक मामले मे फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने देश की सभी राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों की सीमाओं से एक किलोमीटर के दायरे में सभी प्रकार की खनन गतिविधियों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है।

इस आदेश को देते हुए कोर्ट ने कहा कि संबंधित क्षेत्र मे खनन वन्यजीवों के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं, जिससे पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ सकते है। उनकी रक्षा के लिए क्षेत्र मे ऐसी गतिविधियों को दूर रखा जाना चाहिए। कोर्ट ने इस संबंध में 3 जून, 2022 को भी एक आदेश जारी किया था, यह आदेश उसी निर्देश का संशोधन है।

अभी तक केवल गोवा मे ही था यह नियम, अब से पूरे देश मे होगा लागू

अभी तक यह नियम केवल गोवा मे ही लागू था। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने 26 अप्रैल, 2023 को गोवा मे यह आदेश सुनाया था। कोर्ट ने कहा कि खनन से वन्यजीवों के आवासों पर खतरनाक प्रभावों पड़ते है जिसको देखते हुए इस आदेश को पूरे देश मे लागू करने की आवश्यकता है। जिसके बाद कोर्ट ने अपने पूर्व निर्देश मे संशोधित करते हुए यह अहम फैसला सुनाया।

सारंडा वन्यजीव अभयारण्य के सुनवाई के दौरान लिया गया यह अहम फैसला

कोर्ट ने यह महत्वपूर्ण निर्णय झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले में सारंडा वन्यजीव अभयारण्य और ससंगदाबुरू संरक्षण रिजर्व को अधिसूचित किए जाने से संबंधित एक लंबित मामले की सुनवाई के दौरान लिया।

सारंडा मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने झारखंड सरकार को निर्देश दिया कि वह तीन महीने के भीतर सारंडा वन क्षेत्र के 126 कंपार्टमेंट्स को वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित करे।

हालांकि, न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि इस क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों और वनवासियों के अधिकार वन अधिकार अधिनियम के तहत सुरक्षित रहेंगे और राज्य सरकार को इन सुरक्षाओं का व्यापक प्रचार करने का निर्देश दिया गया है।

1 किमी के दायरे के क्षेत्र होंगे इको-सेंसिटिव जोन (ESZ)

इस फैसले का उद्देश्य संरक्षित क्षेत्रों के आसपास एक प्रकार का इको-सेंसिटिव जोन (ESZ) बनाना है, ताकि इन नाजुक पारिस्थितिकी प्रणालियों की रक्षा की जा सके। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों के 1 किमी के दायरे में किसी भी नए स्थायी ढांचे की अनुमति भी नहीं दी जाएगी।

इस आदेश से देश भर में पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को एक बड़ा बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि खनन जैसी गतिविधियाँ वन्यजीव गलियारों और प्राकृतिक आवासों को बाधित न करें।

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The Forest Times
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