गुजरात मे बाघ की एतिहासिक ‘एन्ट्री’

दाहोद (गुजरात)

गुजरात के दाहोद जिले में स्थित रतनमहल वन्यजीव अभयारण्य में एक युवा नर बाघ ने अपना स्थायी निवास बना लिया है, जिससे राज्य में तीन दशक से भी अधिक समय के बाद बाघों की आधिकारिक वापसी हुई है। इस ऐतिहासिक घटना ने गुजरात को भारत का एकमात्र ऐसा राज्य बना दिया है, जहाँ अब शेर, बाघ और तेंदुआ तीनों की प्रजातियां पाई जाती हैं।

तीन दशकों के बाद दिखा बाघ

वन्यजीव संरक्षण के दृष्टिकोण से यह एक महत्वपूर्ण खबर है, क्योंकि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के अनुसार, गुजरात में आखिरी बार 1985 में एक बाघ देखा गया था, जिसकी बाद में सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।

1992 की बाघ जनगणना में राज्य में बाघों की संख्या शून्य घोषित कर दी गई थी। फरवरी 2019 में महिसागर जिले में एक बाघ देखा गया था, लेकिन दो सप्ताह बाद ही उसका शव मिला, जिससे उम्मीदें टूट गई थीं।

हालांकि, इस बार स्थिति अलग है। नवंबर 2025 में, वन अधिकारियों ने महीनों की निगरानी और कैमरा ट्रैप में कैद तस्वीरों व वीडियो के आधार पर पुष्टि की है कि लगभग नौ महीने से रतनमहल अभयारण्य में रह रहा यह बाघ अब वहाँ का स्थायी निवासी बन चुका है।

कहां से आया यह बाघ?

माना जा रहा है कि यह लगभग पाँच से छह साल का रॉयल बंगाल टाइगर पड़ोसी राज्यों, जैसे मध्य प्रदेश अथवा महाराष्ट्र से भटककर गुजरात में आया है। रतनमहल वन्यजीव अभयारण्य की सीमाएँ मध्य प्रदेश के झाबुआ और काठीवाड़ा क्षेत्रों से सटी हुई हैं, जहाँ पहले से ही बाघों की आबादी मौजूद है।

गुजरात के लिए नया रिकॉर्ड

इस नई आमद के साथ, गुजरात अब एक अनूठा वन्यजीव रिकॉर्ड बनाने वाला राज्य बन गया है। राज्य के वन एवं पर्यावरण मंत्री ने इस वापसी की सराहना करते हुए कहा कि यह पारिस्थितिकी के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

इस घटना ने वन्यजीव प्रेमियों और संरक्षण से जुड़े लोगों में नई उम्मीदें जगाई हैं कि शायद भविष्य में और बाघ भी इस क्षेत्र को अपना घर बना सकते हैं।

वन विभाग अब इस युवा नर बाघ की गतिविधियों पर लगातार नज़र बनाए हुए है ताकि उसकी सुरक्षा और उसके नए आवास के संरक्षण को सुनिश्चित किया जा सके।

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The Forest Times
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