ग्रामीणों ने बचाया लुप्तप्राय चीनी पैंगोलिन, भेजा गया वन्यजीव अभयारण्य

एम.बी. लुवांग (मणिपुर)

मणिपुर के मोरेह क्षेत्र के चिकिम गाँव मे ग्रामीणों ने 24 सितंबर की रात सड़क किनारे एक चीनी पैंगोलिन को देखा। दुर्लभ और लुप्तप्राय जानवर को देखते ही ग्रामीणों ने तुरंत मोरेह रेंज के वन विभाग को सूचित किया। सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुँचकर पैंगोलिन को अपने कब्जे में लेकर, उसे यांगनोउपोकपी लोकचाओ वन्यजीव अभयारण्य के अंदर उसके प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया गया।

खतरे का आभास होने पर यह खुद को एक गेंद की तरह मोड़ लेता है चीनी पैंगोलिन

चीनी पैंगोलिन (मैनिस पेंटाडैक्टाइला) की विश्व स्तर पर आठ प्रजातियां पाई जाती हैं। यह एक अत्यधिक खतरे वाली पैंगोलिन प्रजाति है, जो अपने शल्कदार कवच और शांत स्वभाव के लिए जानी जाती है। इन्हें मुख्य रूप से भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों में पाया जाता है। इनका शरीर केराटिन से बने मजबूत, नुकीले शल्कों से ढका होता है। ये शल्क उनकी आत्मरक्षा का काम करते हैं, और खतरे का आभास होने पर यह खुद को एक गेंद की तरह मोड़ लेते हैं। वे मुख्य रूप से चींटियों, दीमकों और उनके लार्वा को अपना आहार बनाते है। वे अपने शिकार को अपनी लंबी, चिपचिपी जीभ का इस्तेमाल करके पकड़ते है, जो इसके शरीर से भी लंबी होती हैं।

लुप्त होने की कगार पर हैं चीनी पैंगोलिन

बड़े पैमाने पर अवैध शिकार और अवैध व्यापार होने के कारण चीनी पैंगोलिन विलुप्त होने की कगार पर हैं। इनका शिकार कर इनकी शल्क से विभिन्न तरह की दवाइयों को बनाने मे इस्तेमाल किया जाता हैं। IUCN ने इन्हें लाल सूची में वर्गीकृत किया है, जिसका मतलब इनकी संख्या और अस्तित्व गंभीर रूप से संकटग्रस्त की स्तिथि मे हैं। वही देश मे इन्हें वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अनुच्छेद 1 में रखा गया हैं। इसलिए इस प्रजाति का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है। इनके अस्तित्व को बचाए रखने के लिए इनका संरक्षण बेहद जरूरी हैं।

वन्यजीव संरक्षण मे सामुदायिक भागीदारी हैं जरूरी

तेंग्नौपाल वन प्रभाग के उप वन संरक्षक ने चिकिम के ग्रामीणों का वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति उनकी ज़िम्मेदारी की भावना के लिए उनकी सराहना की, और आगे भी लोगों से वन्यजीव संरक्षण में निरंतर सहयोग देने की अपील की। वही आगामी 71वें वन्यजीव सप्ताह समारोह 2025 को मद्देनजर रखते हुए वन विभाग ने लोगों से वन्यजीवों की रक्षा में उनकी भूमिका सुनिश्चित करने और प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व को अपनाने का आग्रह किया।

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The Forest Times
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