लंदन
हर वाइल्डलाइफ तस्वीर अपनी एक कहानी बया करती हैं, हर तस्वीर के पीछे एक रहस्य मौजूद होता है, जो उसे एक अलग पहचान देता है। साल 2025 का ‘वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर ऑफ द ईयर’ का प्रतिष्ठित खिताब दक्षिण अफ्रीका के फोटोग्राफर विम वैन डेन हीवर ने जीता। उनके द्वारा खींची गयी तस्वीर ‘घोस्ट टाउन विजिटर’, जिसमे उन्होंने नामीबिया के एक वीरान हो चुके भूतिया शहर ‘कोलमैनस्कॉप’ के खंडहरों के बीच एक भूरे लकड़बग्घे(हाइना) का रहस्यमय चित्र खीचा। जिसमे उन्होने एक गहरे संदेश को दर्शाया कि कैसे प्रकृति उन स्थानों पर चुपचाप वापसी कर रही है, जिन्हें इंसान ने छोड़ दिया है।
10 सालो की लगन और मेहनत का मिला फल
उनकी यह सफलता एक-दो दिन की मेहनत नही, बल्कि 10 सालों की कड़ी लगन और मेहनत का फल है। उन्होने अपनी इस इस सफलता पर कहा कि इस तस्वीर को खीचना उनका सपना था जिसे खींचने के लिए उन्हे एक लंबे समय का इंतजार करना पड़ा। और जब आखिरकार उन्होने कई असफलताओं के बाद इस तस्वीर को खीचा तो परिणाम वही मिला जैसी उन्होने कल्पना की थी।
इस तस्वीर को खींचने की इच्छा उन्हे पूरे दस सालों से थी। यह सिलसिला तबसे शुरू हुआ जब उन्होंने दस साल पहले नामीबिया के एक विरान पड़े कोलोनस्कोपा नामक एक पुराने हीरे की खदान वाले शहर में, एक भूरे लकड़बग्घे के पैरों के निशान देखे। वह जानते थे कि ये लकड़बग्घे रात में निकलते हैं, और एक दिन वह इनमें से किसी एक का शानदार चित्र अपने कैमरे में कैद करना चाहते थे। इस सुनसान शहर में हर बार आने पर हीवर अपने कैमरे का जाल बिछाते थे पर हमेशा उनके हाथ असफ़लता ही लगती थी। कई असफलताओ के बाद आखिरकार एक लंबे इंतजार के बाद एक रात उनकी मेहनत रंग लाई, और उन्होने इस तस्वीर को कैमरे मे कैद किया।
क्या देती है यह तस्वीर संदेश
एक दौर था जब नामीबिया का कोलमैनस्कॉप शहर हीरे के खदान का एक संपन्न केन्द्र हुआ करता था, लेकिन अब यह केवल रेत और खंडहरों का एक शहर बन चुका है। वक्त के साथ लोग वहा से निकलकर दूसरे जगह बसने लगे और धीरे-धीरे यह शहर सुनसान और विरान पड़ गया। बीते कुछ सालो से इस शहर को भूतिया शहर के नाम से जाना जाने लगा। रात तो दूर की बात है लोग दिन मे भी यहा जाने से डरते है।
हीवर की इस तस्वीर में भूरा लकड़बग्घा, कोलमैनस्कॉप के सुनसान खंडहरों के बीच खड़ा है। यह तस्वीर अपने पीछे एक रहस्यमय कहानी बया करती है कि कैसे मानव सभ्यता के पतन के बाद, प्रकृति धीरे-धीरे अपने खोए हुए क्षेत्र को वापस हासिल कर रही है। इस तस्वीर में, लकड़बग्घा मानव इतिहास के मूक अवशेषों के पास, अपनी प्राकृतिक शक्ति और अस्तित्व का दावा करता है। आसान भाषा मे बोला जाए तो मानवों ने वन्यजीवों के घर को उजाड़कर अपना घर बनाया और जब वे उस जगह से छोड़कर चले गए तो वापस से वन्यजीवों ने अपना स्थान हासिल कर लिया।
कई असफलताओ के बाद मिली सफलता
इस तस्वीर को खींचने के लिए हीवर ने कई कोशिशे की। लगातार मिल रही असफलताओ के बाद भी उन्होने हिम्मत नही हारी। हीवर ने आधुनिक तकनीक का सहारा लिया और कई कैमरा ट्रैप लगाए। उन्होंने धैर्यपूर्वक इंतजार किया और आखिरकार उनका इंतजार खत्म हुआ जब एक धुंध भरी रात में, अटलांटिक महासागर से उठने वाले कोहरे के बीच, उनका कैमरा आखिरकार उस भूरे लकड़बग्घे को कैद करने में कामयाब हो गया।
हीवर की तस्वीर में दिखाया गया भूरा लकड़बग्घा सभी लकड़बग्घों की प्रजातियों में सबसे दुर्लभ है। ये मुख्य रूप रात मे ही बाहर निकलते है और अकेला रहना पसंद करते है। शर्मीला स्वभाव होने के कारण वे इन्सानों से बच कर रहना पसंद करते है। यही कारण था कि हीवर के लिए यह तस्वीर खींचना इतना मुश्किल था।
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