भुवनेश्वर (उड़ीसा)
बीते कुछ दिनो से ओडिशा की चिल्का झील में प्रवासी पक्षियों के अवैध शिकार के मामले देखने को मिल रहे है। इन बढ़ते मामलो को देखते हुए वन्यजीव विभाग ने झील और उसके आसपास निगरानी और गश्त को बढ़ा दिया है।
हर साल सर्दियों में मध्य एशिया और साइबेरिया जैसे दूरदराज क्षेत्रों से लाखों प्रवासी पक्षी हमारे देश आते है। जिनकी सुरक्षा और संरक्षण सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है।
प्रवासी पक्षियों का संरक्षण है हमारी जिम्मेदारी
चिल्का झील हर साल लाखों प्रवासी पक्षियों का घर बनती है, जो उत्तरी यूरेशिया, कैस्पियन क्षेत्र, साइबेरिया और रूस के दूरदराज के इलाकों से आते हैं। इन पक्षियों की सुरक्षा नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण है।
अधिकारियों का लक्ष्य पिछले वर्षों की तरह इस मौसम में भी शून्य शिकार का लक्ष्य हासिल करना है। वन्यजीव विभाग, प्रशासन और स्थानीय समुदायों के सहयोग से, इन प्रवासी मेहमानों के लिए चिल्का झील को एक सुरक्षित आश्रय स्थल बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
गश्त तेज करने का कारण
चिल्का वन्यजीव प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी अमलान नायक ने बताया कि हाल ही में एक शिकारी को 44 मृत प्रवासी पक्षियों के शवों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इसके पहले भी एक शिकारी को 33 मृत प्रवासी पक्षियों के शवों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इन घटनाओ के बाद, अधिकारियों ने अवैध गतिविधियों का पता लगाने के लिए सुरक्षा उपायों को और सख्त कर दिया।
अक्सर, हर साल इन दिनों ऐसी अवैध गतिविधियां देखने को मिलती है, क्योकि इस महीने मे ‘छड़ाखाई’ उत्सव मनाया जाता है, जिस दौरान स्थानीय समुदायों में मांसाहारी भोजन की मांग बढ़ जाती है, जिस कारणवश शिकार की संभावना और भी बढ़ जाती है।
उठाए गए प्रमुख कदम
●शिकार विरोधी शिविर: झील क्षेत्र में कुल 21 अस्थायी शिकार विरोधी शिविर स्थापित किए गए हैं। इनमें से 11 शिविर सबसे संवेदनशील टांगी रेंज में हैं, जहाँ पक्षियों का सबसे अधिक जमावड़ा होता है।
●चौबीसों घंटे निगरानी: झील में 24 घंटे गश्त के लिए 15 से अधिक नावें तैनात की गई हैं। वन कर्मचारी लगातार निगरानी कर रहे हैं, विशेषकर सुबह-सुबह जब शिकार की घटनाएं सबसे अधिक होती हैं।
●ड्रोन तकनीक का उपयोग: अवैध शिकार की गतिविधियों, जैसे जाल बिछाने, बिजली के तारों का उपयोग करने, या जल स्रोतों में जहर मिलाने का पता लगाने के लिए ड्रोन का भी उपयोग किया जा रहा है।
●खुफिया जानकारी और जागरूकता: मुखबिरों को महत्वपूर्ण स्थानों पर तैनात किया गया है और स्थानीय मछुआरों के बीच जागरूकता पैदा की जा रही है। नौका ऑपरेटरों को भी पक्षियों को परेशान न करने की चेतावनी दी गई है।
●कड़ी कानूनी कार्रवाई: वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (Wildlife Protection Act, 1972) के तहत शिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है, जिसके तहत जुर्माना और कारावास दोनों का प्रावधान है।
Author Profile

Latest entries
UncategorizedDecember 28, 2025जंगली सूअर ने किया वन दारोगा पर हमला, हालत गंभीर
UncategorizedDecember 25, 2025पेंच की बाघिन का ‘हवाई सफर’….
UncategorizedDecember 23, 2025JU में जैवविविधता और जलवायु परिवर्तन पर दो-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ
UncategorizedDecember 20, 2025हरदा बालाघाट के बांस के फर्नीचर एवं सजावट के सामान को लोगों ने सराहा
