
मध्य प्रदेश के वन अग्नि नियंत्रण मॉडल को केंद्र सरकार ने सराहा, अब पूरे देश में लागू होगी यह SOP
भोपाल,
मध्य प्रदेश की वन अग्नि नियंत्रण मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को केंद्र सरकार ने सराहा है और इसी मॉडल के आधार पर अब पूरे देश के लिए एक नई SOP तैयार की जा रही है। इस प्रणाली के तहत जन सहभागिता, नासा के उपग्रहों से डेटा और त्वरित प्रतिक्रिया के जरिए मध्य प्रदेश में जंगल की आग की घटनाओं में 75% तक की कमी आई है।
क्या है मध्य प्रदेश का मॉडल?
- जन सहभागिता:
- वन अग्नि पोर्टल पर 1 लाख से अधिक नागरिक पंजीकृत हैं, जो आग लगने की सूचना तुरंत देते हैं और बुझाने में मदद करते हैं।
- ग्रामीणों को जागरूक कर उन्हें वन संरक्षण से जोड़ा गया है।
- टेक्नोलॉजी का उपयोग:
- नासा के एक्वा और टेरा उपग्रहों से प्राप्त डेटा के आधार पर आग की घटनाओं का पता लगाया जाता है।
- एक घंटे के भीतर ही घटनास्थल पर टीम पहुंचकर आग पर काबू पा लेती है।
- पेट्रोलिंग और निगरानी:
- वन विभाग की टीमें संवेदनशील क्षेत्रों में लगातार गश्त करती हैं।
- बैतूल और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व जैसे संवेदनशील इलाकों में इस मॉडल से आग की घटनाओं में भारी कमी आई है।
कितना कारगर रहा यह मॉडल?
- 2021 में 19,660 हेक्टेयर जंगल आग से प्रभावित हुए थे, जबकि 2024 में अब तक सिर्फ 1,190 हेक्टेयर क्षेत्र ही प्रभावित हुआ है।
- उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों में भी इस SOP को लागू करने की तैयारी चल रही है।
क्या कहते हैं अधिकारी?
दिलीप कुमार, PCCF (प्रोटेक्शन), मध्य प्रदेश वन विभाग के अनुसार,
“जनता की सक्रिय भागीदारी और तकनीक के समन्वय से हमने जंगल की आग पर काबू पाया है। केंद्र सरकार ने हमारे प्रयासों की सराहना की है और अब यह मॉडल पूरे देश में लागू किया जाएगा।”
आगे की योजना
- केंद्र सरकार अब इस मॉडल को उत्तराखंड, ओडिशा और राजस्थान जैसे राज्यों में लागू करने पर विचार कर रही है।
- वन अग्नि पोर्टल को और अधिक उन्नत बनाया जा रहा है ताकि आग की घटनाओं को और तेजी से रोका जा सके।
निष्कर्ष:
मध्य प्रदेश का यह मॉडल दर्शाता है कि जनभागीदारी और तकनीक के समन्वय से प्राकृतिक आपदाओं को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। अब यह प्रयोग पूरे देश के लिए मिसाल बनने जा रहा है।