पुणे (महाराष्ट्र)
पुणे जिले के जुन्नार वन विभाग द्वारा क्षेत्र मे मानव-तेंदुआ संघर्ष के बढ़ते मामलों को देखते हुए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिसके तहत 20 तेंदुओं को गुजरात के वंतारा में स्थानांतरित करने के लिए चिह्नित किया गया है। यह कदम महाराष्ट्र सरकार द्वारा कुल 50 तेंदुओं को वंतारा भेजने के प्रस्ताव का हिस्सा है, जिसे हाल ही में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से मंजूरी मिली है।
पर्याप्त जगह की कमी है मुख्य कारण
जुन्नार वन प्रभाग में तेंदुओं की आबादी काफी अधिक है। एक अनुमान के अनुसार इस क्षेत्र में लगभग 800 से अधिक तेंदुए हैं। मानव बस्तियों के पास गन्ने के खेतों में तेंदुओं की मौजूदगी के कारण मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष बढ़ गया है। पिछले पाँच वर्षों में, जिले में तेंदुए के हमलों में 35 से अधिक लोगों की मौत हुई है और 60 से अधिक गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
वही इस साल अप्रैल से अब तक जुन्नार और शिरूर तहसीलों में पाँच लोगों की जान जा चुकी है। इन घटनाओं के कारण स्थानीय निवासियों और प्रतिनिधियों का वन विभाग पर तेंदुओं को प्रभावित क्षेत्रों से स्थानांतरित करने का दबाव बढ़ रहा था।
क्या है स्थानांतरण की पूरी योजना
इस समस्या के समाधान के लिए वन विभाग ने पुणे और जुन्नार डिवीजनों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक आपातकालीन बैठक बुलाई और 50 तेंदुओं को जामनगर, गुजरात में अंबानी समूह के स्वामित्व वाले पशु पुनर्वास केंद्र वंतारा में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया। वंतारा को भारत के सबसे बड़े वन्यजीव बचाव केंद्र के रूप में जाना जाता है, जो घायल, दुर्व्यवहार वाले और संकटग्रस्त जानवरों के पुनर्वास के लिए समर्पित है।
वन विभाग ने नवंबर 2025 के पहले सप्ताह में CZA को विस्तृत स्थानांतरण प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसपर 10 नवंबर, 2025 को मंजूरी मिल गई।
पहले चरण में भेजे जाएगे 20 तेंदुए
वन विभाग ने स्थानांतरण के पहले चरण के लिए 20 तेंदुओं की पहचान की है। इनमें से 5 जुन्नार से और 15 शिरूर से हैं, जिन्हें पिछले महीने में पकड़ा गया था और वर्तमान में मानिकडोह तेंदुआ बचाव केंद्र में रखा गया है।
यह पहली बार नहीं है कि जुन्नार से तेंदुओं को वंतारा भेजा जा रहा है। इससे पहले अगस्त 2024 में भी, मानिकडोह केंद्र से 10 तेंदुओं (चार मादा और छह नर) को वंतारा में सफलतापूर्वक स्थानांतरित किया गया था, क्योंकि केंद्र में क्षमता की कमी थी।
मानव-तेंदुआ संघर्ष को कम करने मे मिलेगी मदद
हालांकि यह कदम मानव-तेंदुआ संघर्ष को कम करने के लिए उठाया गया है, लेकिन विशेषज्ञों के एक वर्ग ने इस अभ्यास की आलोचना की है। उनका तर्क है कि केवल उन तेंदुओं की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें पकड़ा जाना चाहिए जो वास्तव में हमलों में शामिल थे, न कि पूरे आबादी समूह को स्थानांतरित किया जाए।
वन विभाग ने स्थिति से निपटने के लिए अन्य उपाय भी किए हैं, जिनमें एआई-आधारित निगरानी और अलर्ट सिस्टम लगाना, ड्रोन का उपयोग करना और प्रभावित क्षेत्रों में रात में गश्त करना शामिल है। स्थानीय लोगों से भी सावधानी बरतने और शाम के बाद खेतों में जाने से बचने की अपील की गई है।
इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण समुदायों पर दबाव कम करना और क्षेत्र में तेंदुए की आबादी का प्रबंधन करना है, ताकि मानव और वन्यजीवों का सह-अस्तित्व सुनिश्चित किया जा सके।
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