झारखंड में एक बड़े वन्यजीव तस्करी रैकेट का भंडाफोड़, 80 करोड़ रुपये का सांप का जहर और पैंगोलिन शल्क जब्त

मेदिनीनगर (झारखंड)

झारखंड के पलामू जिले में वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो और वन विभाग की संयुक्त टीम ने एक बड़े अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव तस्करी गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस कार्रवाई में लगभग 80 करोड़ रुपये का सांप का जहर और 2.5 किलोग्राम पैंगोलिन के शल्क जब्त किए गए हैं। मामले में अब तक कुल 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

करीब 80 करोड़ रूपए की आंकी जा रही है कीमत

इस कार्रवाई को मुखबिरों से मिली गुप्त जानकरी के आधार पर किया गया। गुप्त सूचना मिलने पर पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने कई दिनो तक संदिग्धों पर निगरानी बनाए रखे थे।

जिसके बाद बुधवार और शुक्रवार को की गई छापेमारी में, टीम ने 1.2 किलोग्राम सांप का जहर और 2.5 किलोग्राम पैंगोलिन के शल्क बरामद किए। जब्त किए गए सांप के जहर की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब 80 करोड़ रुपये आंकी गई है, जबकि पैंगोलिन शल्क का मूल्य लगभग 15-20 लाख रुपये मानी जा रही है।

गिरफ्तार किए जा चुके है 10 आरोपी

इस मामले में अभी तक कुल 10 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें से छह की गिरफ्तारी बुधवार को और चार की गिरफ्तारी शुक्रवार को हुई।

गिरफ्तार किए गए लोगों में बिहार के औरंगाबाद जिले के देव निवासी मोहम्मद सिराज और मोहम्मद मिराज (पिता-पुत्र) और पलामू के हरिहरगंज निवासी राजू कुमार शौंडिक शामिल हैं।

वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह जहर स्थानीय स्तर पर इकट्ठा किया गया था और इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में तस्करी के लिए तैयार किया जा रहा था।

पूछताछ के दौरान, गिरफ्तार किए गए तस्करों ने स्वीकार किया कि वे इस जहर को अंतरराष्ट्रीय बाजार में आपूर्ति करते थे। अधिकारियों ने आरोपियों के फोन जब्त कर लिए हैं और पूरे नेटवर्क की जांच की जा रही है। इस रैकेट के अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन ने जांच एजेंसियों को चौंका दिया है।

जहर और शल्क का उपयोग

पलामू टाइगर रिजर्व के उप निदेशक पीके जेना ने पुष्टि की है कि ऑपरेशन अभी भी जारी है और इस अवैध व्यापार में शामिल अन्य व्यक्तियों की तलाश में कई स्थानों पर छापेमारी की जा रही है। इस कार्रवाई को वन्यजीव अपराध के खिलाफ एक महत्वपूर्ण सफलता माना जा रहा है।

जहर का उपयोग रेव पार्टीयो मे किया जाया है जबकि शल्क का उपयोग दवाईया बनाने मे इस्तेमाल किया जाता है। इनकी भारी मांग के कारण अक्सर ऐसे तस्करी मामले देखने को मिलते रहते है।

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The Forest Times
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