टाइगर सफारी अब केवल गैर-वन भूमि या बफर जोन तक होगी सीमित

नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को बाघ संरक्षण को लेकर एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इस फैसले मे कोर्ट ने आदेश दिया कि अब से टाइगर सफारी केवल गैर-वन भूमि या बफर जोन तक ही सीमित रहेगी। यानि अब से मुख्य बाघ आवास (कोर एरिया) में टाइगर सफारी प्रतिबंधित रहेगी। साथ ही कोर एरिया मे किसी भी तरह का निर्माण और वृक्ष कटाई पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।

यह महत्वपूर्ण फैसला उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध पेड़ कटाई और निर्माण के मामले की सुनवाई के दौरान लिया गया है। इस मामले में कोर्ट ने उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और तत्कालीन डीएफओ किशन चंद को जमकर फटकार लगाते हुए मामले पर सीबीआई जांच का आदेश दिया।

जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के मामले की सुनवाई के दौरान लिया गया यह महत्वपूर्ण फैसला

यह महत्वपूर्ण फैसला भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई की अध्यक्षता मे तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान लिया। मुख्य मामला उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई का था।

जिसपर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने मामले से जुड़े सभी लोगो को फटकार लगाते हुए सीबीआई को इस मामले की जांच करने का आदेश दिया और तीन महीने के भीतर एक अंतरिम रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। साथ ही कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में हुए अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने का भी आदेश दिया।

क्या है कोर्ट का फैसला

कोर क्षेत्रों में टाइगर सफारी पर प्रतिबंध: कोर्ट ने फैसला दिया कि बाघ अभयारण्यों के मुख्य (कोर) क्षेत्रों में टाइगर सफारी या निर्माण प्रतिबंधित होगी।

गैर-वन भूमि पर अनुमति: सफारी केवल उन्हीं गैर-वन भूमि या बफर जोन मे होगी, जो टाइगर कॉरिडोर का हिस्सा न हों।

अवैध निर्माण ध्वस्त होंगे: उत्तराखंड सरकार को जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में सभी अवैध निर्माणों को तीन महीने के भीतर गिराने का आदेश दिया गया है।

पर्यावरणीय क्षति की भरपाई: राज्य सरकार को अवैध पेड़ कटाई और निर्माण से हुई पारिस्थितिक क्षति की भरपाई करने का निर्देश दिया गया है।

एनटीसीए दिशानिर्देश: टाइगर सफारी का संचालन केवल राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के 2019 के दिशानिर्देशों के तहत ही किया जा सकता है।

फैसले का प्रभाव

यह फैसला भारत में बाघों और उनके आवास के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल महत्वपूर्ण वन्यजीव क्षेत्रों की रक्षा करेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि पर्यटन गतिविधियों को इस तरह से प्रबंधित किया जाए कि वन्यजीवों के लिए न्यूनतम जोखिम हो।

हालांकि, इस फैसले से निकटवर्ती पर्यटन और संबंधित उद्योगों पर असर पड़ने की भी आशंका है, लेकिन न्यायालय ने पर्यटन और संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश की है।

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The Forest Times
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