चेन्नई (तमिल नाडु)
तमिल नाडु मे वन्यजीव सप्ताह समारोह के अवसर पर वन एवं खादी राज्य मंत्री आर. एस. राजा. कन्नपन ने तृतीय समन्वित हाथी जनसंख्या अनुमान (2025) का रिपोर्ट जारी की। जिसमे प्रदेश मे जंगली हाथियों की आबादी मे जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई हैं। साल 2024 मे की गई अनुमानित गणना के हिसाब से प्रदेश मे 3063 हाथी थे, जो साल 2025 मे बढ़कर 3170 हो गए। यानी एक साल मे प्रदेश मे 107 हाथियों की बढोतरी हुई हैं, जो तमिल नाडु सरकार की हाथी संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाती हैं।
● प्रदेश सरकार हाथी संरक्षण मे कर रही विभिन्न पहले
तमिल नाडु सरकार द्वारा प्रदेश मे हाथियों के संरक्षण के लिए विभिन्न पहले चलायी गई है, जिसका सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिला हैं। तमिल नाडु मे हाथी सिर्फ व्यवसायी रूप से तो महत्वपूर्ण रहे ही है, साथ ही सांस्कृतिक रूप से भी बहुत महत्व रहे है।
प्रदेश सरकार हाथियों के संरक्षण के लिए उनके आवास की व्यवस्था, भोजन और पानी की उपलब्धता, उनकी गतिविधियो पर नजर रखने के लिए पौघोगिक तरीको का उपयोग कर उनकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए विभिन्न पहलें की जा रही हैं, जिनके सफल परिणामस्वरूप प्रदेश मे एक साल मे हाथियों की संख्या मे इस कदर की वृद्धि दर्ज की गई हैं।

●मई मे किया गया था तीन दिवसीय सर्वेक्षण
हाथियों की संख्या की गणना मई मे की गई थी जिसका रिपोर्ट अक्टूबर मे पेश किया गया। सर्वेक्षण मे 26 वन प्रभागों को शामिल किया गया था जिसमे बाघ अभयारण्य, वन्यजीव अभयारण्य, प्रादेशिक वन प्रभाग और राष्ट्रीय उद्यान को शामिल किया गया था। सर्वेक्षण मे मुदुमलाई बाघ अभयारण्य मे सबसे अधिक घनत्व 135 प्रति की.मी( लगभग 325 हाथी) दर्ज किया गया जिसके बाद गुडालुर वन प्रभाग और अन्नामलाई टाइगर रिजर्व का स्थान रहा।
●नीलगिरी और कोयंबटूर हाथी अभयारण्य मे मौजूद है सबसे अधिक हाथी
रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश मे सबसे अधिक हाथी नीलगिरी और कोयंबटूर हाथी अभयारण्य मे रहते हैं। ये अनुमानित प्रदेश की करीब 2,450 हाथियों का घर हैं, जो तमिलनाडु की कुल हाथी आबादी का 70-80% हिस्सा हैं।इन अभयारण्यों के अंतर्गत छह वन प्रभाग आते हैं – मुदुमलाई बाघ अभयारण्य, गुडालुर, सत्यमंगलम बाघ अभयारण्य, होसुर और कोयंबटूर हाथी अभयारण्य।
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