दक्षिण दिल्ली मे वन क्षेत्रों की स्थिति है दयनीय, NGT ने लगाई फटकार

नई दिल्ली

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने दक्षिण दिल्ली के वन क्षेत्रों की दयनीय स्थिति पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है और संबंधित अधिकारियों को तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने का निर्देश दिया है। एनजीटी ने पाया कि इन क्षेत्रों में वन क्षेत्र मे लगातार कमी हो रही है, और पर्यावरणीय क्षरण ज्यादा।

क्या है पूरा मामला

यह मामला दक्षिणी दिल्ली मे वन क्षेत्रों मे कमी और उनकी संरक्षण की मांग से जुड़ी एक याचिका है। एक वक्त पर यह क्षेत्र दिल्ली के लिए एक महत्वपूर्ण हरित क्षेत्र के रूप मे जाना जाता था। पिछले कुछ सालो से यहा भारी मात्रा मे पेड़ों की अवैध कटाई और अतिक्रमण होता आ रहा है। जिसपर संज्ञान लेते हुए एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट इससे पहले कई बार संबंधित अधिकारियों को फटकार लगा चुके हैं और कार्रवाई के निर्देश दे चुके हैं।

वही हाल ही मे, दिल्ली सरकार ने दक्षिणी दिल्ली के 41 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को आरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया था। हालांकि ताजा रिपोर्टों के अनुसार इस क्षेत्र मे वन की दयनीय स्थिति को देखते हुए एनजीटी ने स्पष्ट किया है कि इन आदेशों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और अधिकारियों को पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।

क्या है इस मामले पर एनजीटी की टिप्पणियाँ

एनजीटी की प्रधान पीठ ने हाल ही में एक सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वन विभाग के अधीन आने वाले वन क्षेत्रों की खराब स्थिति का संज्ञान लिया। ट्रिब्यूनल ने पाया कि इन महत्वपूर्ण पर्यावरणीय क्षेत्रों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए आवश्यक उपाय नहीं किए गए हैं।

मुख्य चिंताएं और कमियाँ:-

अतिक्रमण और अनाधिकृत कॉलोनियाँ: एनजीटी ने पाया कि वन भूमि पर अतिक्रमण है, जिसमें संगम विहार जैसी 33 से अधिक अनाधिकृत कॉलोनियाँ शामिल हैं, जो आंशिक या पूर्ण रूप से वन क्षेत्र में आती हैं।

सुरक्षा उपायों की कमी: वन क्षेत्रों में उचित बाड़ या प्राकृतिक बाड़ की कमी है।

चेतावनी बोर्डों का अभाव: अतिक्रमण करने वालों के लिए कोई चेतावनी या सूचना बोर्ड नहीं लगाए गए हैं।

पर्याप्त पौधरोपण का अभाव: वन विभाग द्वारा पर्याप्त वृक्षारोपण नहीं किया गया है।

कचरा प्रबंधन: वन भूमि के आसपास ठोस अपशिष्ट और निर्माण-विनाश कचरा जमा होने से प्रदूषण और पर्यावरणीय क्षरण हो रहा है।

ट्रिब्यूनल ने इस बात पर जोर दिया कि पर्यावरण संरक्षण कोई वैकल्पिक नीति नहीं, बल्कि जीवन रक्षा की अनिवार्य जिम्मेदारी है।

एनजीटी के निर्देश

एनजीटी ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कई सख्त निर्देश जारी किए हैं:-

तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई: संबंधित अधिकारियों, विशेष रूप से वन विभाग और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति, को तत्काल प्रभावी और व्यावहारिक कदम उठाने का आदेश दिया गया है।

भूमि को सुरक्षित करना: वन भूमि को उचित बाड़ या प्राकृतिक बाड़ लगाकर सुरक्षित किया जाए।

मियावाकी विधि से पौधरोपण: इन क्षेत्रों को घने जंगल में विकसित करने के लिए जापानी ‘मियावाकी’ पद्धति का उपयोग करके बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया जाए।

कचरा हटाना: दिल्ली नगर निगम को वन क्षेत्रों से कचरा हटाने और अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।

कार्य योजना और समय-सीमा: अधिकारियों को इन सभी कार्यों के लिए एक व्यापक कार्य योजना, बजटीय प्रावधान और निश्चित समय-सीमा प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया गया है।

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The Forest Times
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