नहर में फंसे हाथी का किया गया सफलतापूर्वक रेस्क्यू

मांड्या (कर्नाटक)

कर्नाटक के मांड्या जिले के मालवल्ली तालुक में शिवानासमुद्र के पास एक पावर जनरेशन प्लांट की 60 फीट गहरी नहर में गिरे एक जंगली हाथी को कड़ी मशक्कत के बाद सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया गया।

इस सफल अभियान मे वन विभाग, पुलिस और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल की संयुक्त 100 से अधिक सदस्यों वाली टीम ने तीन दिनों के कड़े प्रयास के बाद इस कार्य को अंजाम दिया।

यह घटना शनिवार रात की बताई जा रहो है, जब पानी पीने के दौरान 12 वर्षीय हाथी फिसलकर कंक्रीट की दीवारों वाली तेज बहाव वाली नहर में गिरकर फंस जाता है।

आसान नही था यह रेस्क्यू

बचाव टीम के लिए यह रेस्क्यू ऑपरेशन आसान नही था। क्योकि हाथी के लिए नहर की सीधी और चिकनी कंक्रीट की दीवारों पर चढ़कर बाहर निकलना असंभव था, और पानी का बहाव भी काफी तेज था। इस कारण हाथी लगभग 28 घंटे से अधिक समय तक पानी में फंसा रहा, जिससे उसकी जान को खतरा हो गया था।

सोमवार को पानी का स्तर अधिक होने के कारण बचाव के शुरुआती प्रयास विफल रहे। हाथी भूख और घबराहट से परेशान न हो, इसके लिए उसे लगातार केले, गन्ने और तरबूज दिए जाते रहे।

सफल रणनीति की मदद से पूरा हुआ अभियान

वन अधिकारियों ने महसूस किया कि पारंपरिक तरीकों से हाथी को निकालना संभव नहीं होगा, इसलिए उन्होंने एक विस्तृत योजना बनाई। सबसे पहले, नहर में पानी की आपूर्ति बंद कर दी गई, जिससे जल स्तर काफी कम हो गया और बचाव दल के लिए काम करना आसान हो गया। इसके बाद, टीम ने हाथी को बाहर निकालने के लिए बेंगलुरु से लगभग 100 किलोमीटर दूर से एक बड़ी क्रेन मंगवाई।

आखिरकार निकाला गया हाथी

मंगलवार को, बचाव अभियान अपने अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण चरण में प्रवेश किया। एक पशुचिकित्सक ने हाथी को सुरक्षित रूप से बेहोश करने के लिए ट्रैंक्विलाइज़र का इस्तेमाल किया, जिससे वह शांत हो गया और बचावकर्मी उसके पास जा सके।

बेहोशी की हालत में, क्रेन की मदद से एक विशेष प्लेटफॉर्म या जाल का उपयोग करके हाथी को धीरे-धीरे और सुरक्षित रूप से नहर से बाहर निकाला गया।हाथी को बाहर निकालने के बाद, एनेस्थीसिया के प्रभाव को उलटने के लिए एक एंटीडोट दिया गया।

होश में आने के बाद, पूरी तरह से स्वस्थ हाथी को वन अधिकारियों की देखरेख में पास के जंगल में सुरक्षित छोड़ दिया गया।

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The Forest Times
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