नेपाल से आए हाथी कर रहें पीलीभीत की फसल बर्बाद, कर रखा हैं किसानो की नाक मे दम

पीलीभीत (उत्तर प्रदेश)

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत मे वन्यजीवों का आना-जाना, तो मानो आम बात होती जा रही हैं। जंगली क्षेत्र और पीलीभीत टाइगर रिजर्व होने के कारण अक्सर क्षेत्र मे बाघ और हाथियों का आतंक बना रहता हैं। इन दिनों पीलीभीत के तमाम इलाकों में नेपाली हाथी किसानों के लिए सरदर्द बने हुए हैं। क्षेत्र मे घुसकर वे फसलों को रौंद कर बर्बाद कर रहे हैं, जिससे किसानो को आर्थिक और आहारिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा हैं। नेपाल से आए हाथियों ने पीलीभीत के कलानौर, फैजुल्लागुंज और पूरनपुर जैसे क्षेत्रों में धान और गन्ने की तैयार फसलों को बर्बाद कर दिया है।

जंगल इलाकों से सटा हुआ हैं क्षेत्र

शारदा नदी के किनारे स्थित पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बराही रेंज का जंगल है। यह जंगल भारत और नेपाल की सीमा पर मौजूद हैं, वही नेपाल का शुक्लाफांटा वन्यजीव अभयारण्य भी है। सीमा से सटे होने के कारण अक्सर भोजन-पानी की तलाश मे हाथी, बाघ, गेंडे समेत तमाम जंगली जानवर भारत की सीमा में घुस आते हैं। कृषि क्षेत्र होने की वजह से वन्यजीव किसानों की फसलों को बर्बाद कर देते हैं, जिसकी वजह से उन्हे भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता हैं।

झुंड मे आते हैं हाथी

नेपाल से आए हाथियों का आतंक पीलीभीत टाइगर रिजर्व के कई जिलों मे है। सितंबर माह की शुरुआत मे पांच हाथियों के एक झुंड ने सुल्तानपुर और जगदीशपुर में अपना आतंक फैलाया था। वही माह के मध्य मे हाथियों ने कटकवारा और थारूपट्टी और उनसे सटे गाँवों में उत्पात मचाया और फसलों को रौंद डाला था। और अब महीने के अंत मे हाथियों का एक झुंड फैजुल्लागंज और उसके आसपास के गाँवों में घुसकर धान और गन्ने की फसलें बर्बाद कर रहे है। फसलों के अलावा हाथी झोपड़ियां और केले के पेड़ों को भी नष्ट कर देते हैं।

हाथियों ने बढ़ा दी हैं किसानो की चिंता

हाथी के झुंड फसलों को रौंद कर बर्बाद कर दे रहे हैं। वे फसलों को खाते कम और बर्बाद ज्यादा करते हैं। किसान बारिश और हाथियों के उत्पात से दोहरी मार झेल रहे हैं। बार-बार होने वाले नुकसान से किसान बहुत परेशान हैं। वे रात भर जागकर अपनी फसलों की रखवाली करने को मजबूर हैं। हाथियों के आते ही वे उन्हे भगाने की कोशिश करने लगते है। किसानों का आरोप है कि उन्हें सरकार से वन्यजीवों द्वारा नुकसान का मुआवजा भी नहीं मिलता, यहा तक की हाथियों को भगाने के लिए वन विभाग द्वारा पर्याप्त सुरक्षा उपाय भी नहीं किए जाते।

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The Forest Times
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