पेंच की बाघिन का ‘हवाई सफर’….

भोपाल (मध्य प्रदेश)

मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार द्वारा वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक अहम कदम उठाया गया, जिसके तहत देश में पहला अंतर-राज्यीय बाघ स्थानांतरण का कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया गया। इस ट्रांसलोकेशन के तहत बीते रविवार को मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व से एक तीन वर्षीय बाघिन ‘PN-224’ को MI-17 हेलिकॉप्टर की मदद से राजस्थान के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में लाया गया। इस महत्वपूर्ण कदम का मुख्य उद्देश्य राजस्थान के बूंदी जिले में बाघों के कुनबे को बढ़ाने और वन्यजीव संरक्षण को मजबूत करने से है‌।

करीब एक महीने से चल रही थी इसकी तैयारी

इस स्थानांतरण प्रकिया को पिछले कई हफ्तों की योजना के बाद सफलतापूर्वक पूरा किया गया। इस प्रक्रिया में वायुसेना की भी मदद ली गई। हर एक क़दम वन्यजीव विशेषज्ञो और डॉक्टरों की निगरानी में उठाया गया। सबसे पहले विशेषज्ञों की एक टीम ने बाघिन को बेहोश किया, जिसके बाद रेडियो कॉलर और कैमरा ट्रैपिंग करके उसे जबलपुर हवाई अड्डा ले जाया गया। जहा से चार्टर्ड विमान ‘MI-17’ के जरिए उसे राजस्थान के कोटा पहुंचाया गया।

राजस्थान पहुँचने के बाद बाघिन को रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में लाकर एक सुरक्षित क्षेत्र में रखा गया है, जहाँ पशु चिकित्सक लगातार उसकी निगरानी कर रहे हैं। इस प्रक्रिया के दौरान उठाया हर एक क़दम राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के दिशा-निर्देशों के तहत पूरा किया गया है।

देश का पहला अंतर-राज्यीय बाघ स्थानांतरण

यह स्थानांतरण अपने आप में ही अनोखी है। यह भारत का पहला पहला अंतर-राज्यीय बाघ स्थानांतरण है (यानी देश‌ के अंदर ही हवाई मार्ग के जरिए ट्रांस लोकेशन)। आमतौर, पर आजतक हम देखते आते रहे हैं कि अक्सर वन्यजीवो को ट्रकों के माध्यम से सड़क मार्ग से भेजा जाता रहा है, जिसमें 15 से 20 घंटे का समय लगता है। लंबी यात्रा से वन्यजीवो में तनाव और चिड़चिड़ापन होने का खतरा बना रहता है, जो उनके स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है। वहीं हवाई मार्ग से यह दूरी बहुत ही कम समय मे पूरी हो गई।

विषधारी में बाघों कू कुनबे को बढ़ाना है मुख्य उद्देश्य

राजस्थान का विषधारी टाइगर रिजर्व जो पिछले कई सालों से बाघों की कमी से जूझ रहा था। इसको देखते हुए इस स्थानांतरण की प्रक्रिया को किया गया है। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य विषधारी टाइगर रिजर्व में बाघों के कुनबे को बढ़ाने और वहां की आनुवंशिक विविधता को बनाए रखने के उद्देश्य से किया गया है। इस प्रक्रिया की सफलता पर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री और वन विभाग के अधिकारियों ने सराहना की।

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The Forest Times
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