बिहार की 233 आर्द्रभूमियों का हेल्थ कार्ड बनकर तैयार, वेटलैंड मित्र रखेंगे पूरा ख्याल

पटना (बिहार)

बिहार सरकार ने जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संकट से निपटने के लिए एक नई पहल शुरू की है। राज्य की 233 आर्द्रभूमियों का हेल्थ कार्ड तैयार किया गया है। इसमें पानी की गुणवत्ता, ऑक्सीजन स्तर, प्रवासी पक्षियों की संख्या और जलीय जीवों की स्थिति जैसी अहम जानकारियां दर्ज की गई हैं। इस हेल्थ कार्ड से साफ हो जाएगा कि कौन-सी आर्द्रभूमि कितनी स्वस्थ है और किसे संरक्षण की जरूरत है।

क्यां होती है आर्द्रभूमि(वेटलैड)

वेटलैड एक ऐसा भू-भाग होता है जो स्थायी रूप से या साल के कुछ समय के लिए पानी से ढका रहता है और वहाँ विशिष्ट प्रकार की वनस्पति उगती है। यहां वर्ष में कम से कम आठ महीने तक पानी भरा रहता है। यह जैव विविधता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है जो बाढ़ को नियंत्रित करने में मदद और पर्यावरण को कई तरह का लाभ पहुँचाती हैं और साथ ही साथ जल को शुद्ध, मिट्टी को नमी प्रदान और कार्बन को सोखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इनमें दलदल, झीलें, तालाब, नदियाँ, आदि शामिल है।

बिहार मे कितनी है आर्द्रभूमियां

वर्तमान में राज्य में 2.25 हेक्टेयर से भी ज्यादे का भू-भाग आर्द्रभूमि के क्षेत्र मे आता है। जिसमे कुल मिलाकर 4526 आर्द्रभूमियां हैं जिनमें से 4316 का भू-सत्यापन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा पूरा किया जा चुका है।

क्या होगा फायदा

इस हेल्थ कार्ड से यह आसानी से पता चलेगा कि कौन-सी आर्द्रभूमि किस स्थिति में है और किन्हें बचाने या सुधारने की जरूरत है। इसमें सबसे अच्छा स्कोर होता है ‘ए प्लस’, जिसका मतलब है कि वेटलैंड बिल्कुल स्वस्थ है। अगर किसी का स्कोर इससे कम है, तो इसका मतलब है कि उसकी देखभाल और प्रबंधन पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। हेल्थ कार्ड सिस्टम और वेटलैंड मित्र योजना मिलकर न केवल आर्द्रभूमियों को जीवंत बनाएंगे बल्कि प्रवासी पक्षियों और जलीय जीवों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेंगे।

‘वेटलैंड मित्र’ रखेंगे खास ख्याल

इन वेटलैंड्स की देखरेख और प्रबंधन के लिए सरकार ने ‘वेटलैंड मित्र’ योजना शुरू की है. इसके तहत आर्द्रभूमियों के आसपास रहने वाले लोग ही इनकी पहचान, सफाई और रखरखाव का काम करेंगे साथ ही साथ प्रवासी पक्षियों के अवैध शिकार पर रोक और पर्यावरणीय पर्यटन को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी भी इन्हीं वेटलैंड मित्रों पर होगी। इस पहल से स्थानीय लोगों को रोजगार और पर्यटन के नए अवसर भी मिलेंगे।

प्रवासी पक्षीयों को मिलेगा नया ठिकाना

बिहार सरकार की यह पहल राज्य में पर्यावरणीय प्रबंधन और संरक्षण के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो सकती है,आने वाले समय में अगर यह पहल सफल रहती है तो वेटलैंड संरक्षण भारत की पर्यावरणीय नीति का एक मजबूत स्तंभ बन सकता है और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच बिहार का यह प्रयोग दूसरे राज्यों के लिए भी मिसाल बन सकता है।

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The Forest Times
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