भारत मे बीते एक साल से जंगल मे आग लगने से 1.5 करोड़ लोग हुए प्रभावित

हाल ही मे हुए एक अध्ययन के अनुसार भारत में वर्ष 2024-25 के दौरान जंगल मे आग लगने से लगभग 1.5 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं। इस अध्ययन का परिणाम बेहद चिंतनीय है, जिसने देश भर के पर्यावरणविदों, नीति निर्माताओं और आम जनता को चिंतित कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार, इन अग्निकांडों से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले लोग उत्तर प्रदेश के रहे, जहाँ 46 लाख से अधिक लोग इसकी चपेट में आए।

क्या है आग लगने की मुख्य वजह

इस समस्या का सबसे मुख्य कारण फसलों की पराली जलाने से लगी आग है। हर साल देश पराली से लगी आग की समस्या का सामना करता है। इसके अलावा आग लगने के अन्य कारणों मे अत्यधिक गर्मी, सूखी घास मे गर्मी की तपन से लगी आग, और उपकरणों से निकलने वाली चिंगारियाँ शामिल हैं।

उत्तर प्रदेश रहा सबसे प्रभावित प्रदेश

इस अध्ययन के अनुसार हर साल भारत के 60% से अधिक जिले जंगल की आग से प्रभावित होते हैं। वही, इससे सबसे अधिक प्रभावित उत्तर प्रदेश के लोग रहे, जहा करीब 46 लाख लोग इसके प्रभाव मे आए, वही पंजाब में 35 लाख लोग इससे प्रभावित हुए। वही उत्तराखंड और हिमालय प्रदेश के लोगो ने भी इस समस्या का सामना किया है।

क्या होती है इससे अन्य समस्याएं

आर्थिक नुकसान: जंगल की आग से हर साल लगभग 1,100 करोड़ रुपये का नुकसान होता है।

● स्वास्थ्य पर प्रभाव: जंगल की आग से निकलने वाला धुए से वायु प्रदूषण बढ़ाता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ होती हैं। एक शोध के अनुसार, जंगल की आग से होने वाले वायु प्रदूषण से हर साल 15 लाख मौतें होती हैं।

पर्यावरणीय प्रभाव: आग जंगल में मौजूद पेड़-पौधों, जानवरों और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचाती है।

समाधान की दिशा में कदम

इस गंभीर समस्या को हल करने के लिए तत्काल और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। इसमें वनों के प्रबंधन में सुधार, आग से बचाव के उपायों को मजबूत करना, और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए दीर्घकालिक रणनीतियों को अपनाना शामिल है। जनता को भी इस बारे में जागरूक करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि कई बार मानवीय लापरवाही के कारण भी आग लगने की घटनाएं होती हैं।

भारत में जंगल की आग एक गंभीर पर्यावरणीय और सामाजिक समस्या है, जिसने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार, गैर-सरकारी संगठनों और आम नागरिकों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और हमारे वनों और वन्यजीवों को सुरक्षित रखा जा सके।

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The Forest Times
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