कोयंबटूर (तमिलनाडू)
12 सितंबर 2025 को मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के लिए एक अहम फैसले पर मंजूरी दी गई। जिसमे कोयंबटूर के थोंडामुथुर क्षेत्र में वन विभाग को 10 किमी तक ‘स्टील वायर फेंसिंग’ लगाने की अनुमती दी गई है, जो बढ़ते मानव-हाथी संघर्ष की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
हालांकि इस योजना पर कोर्ट की मंजूरी पहले ही मिल चुकी थी, पर एक याचिका के बाद इसपर अस्थायी रूप से रोक लगा दिया था।
लंबे समय से बना है मानव-हाथी संघर्ष
कोयंबटूर और उसके आसपास के क्षेत्रों में लंबे समय से मानव-हाथी संघर्ष गंभीर समस्या बनी हुई है। हाथियों का गांवों और कृषि भूमि में घुस आने से फसल नुकसान, संपत्ति नष्ट और कई बार मानव जीवन हानि की घटनाएं होती रहती हैं। वहीं ग्रामीणों द्वारा हाथियों को भगाने या उन्हे रोकने के प्रयास में कभी-कभार वन्यजीव घायल या उनकी मृत्यु भी हो जाती हैं।

लिए जाएगे सुरक्षा उपाय
बाड़ लगाने के साथ-साथ हाथियों की निगरानी के लिए कैमरे भी लगाए जाएंगे जिससे इस कदम से हाथियों पर पड़ रहे असर पर नजर रखेगा।
कोर्ट ने कहा कि इस परियोजना पर अदालत की भी सतत निगरानी बनी रहेगी। यदि इस प्रक्रिया से हाथियों या अन्य वन्यजीवों को किसी प्रकार का नुकसान पहुंचता है, तो अदालत उचित निर्देश जारी करेगी। साथ ही इस बात का ख्याल रखा जाएगा कि हाथियों की आवाजाही और उनकी पारंपरिक मार्गों में बाधा न उत्पन्न हो।
याचिका के बाद रोक दी गई थी योजना
कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की गई थी; जिसमें याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि स्टील के तार हाथियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। जिसपर अमल करते हुए योजना पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी गई थी।
जिसपर वन विभाग ने अदालत के समक्ष दलील दी कि स्टील वायर फेंसिंग मानव और हाथियों के बीच एक सुरक्षित अवरोधक के रूप में काम करेगी। यह पारंपरिक बिजली वाले तारो की तुलना में अपेक्षाकृत सुरक्षित है और इससे हाथियों को कम से कम हानि होगी। जिसके बाद अदालत ने वन विभाग को स्टील वायर लगाने की मंजूरी दे दी।
इस्तेमाल की जाएंगी लचीली स्टील वायरे
इस योजना मे वन विभाग कठोर वायरों के विपरीत, लचीली और उच्च-तनाव वाली स्टील वायरो का इस्तेमाल करेगा, जिसे हाथी तोड़ते व नुकसान नहीं पहुंचाते और हाथियों को भी इससे दिक्कत नही होगी। यह कदम एक गर्भवती हाथिनी की मौत के लिया गया था।
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