मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने करंट से मरने वाले वन्यजीवों की मांगी स्टेटस रिपोर्ट

जबलपुर (मध्यप्रदेश)

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मंगलवार को राज्य में बिजली के करंट से होने वाली वन्यजीवों और आवारा पशुओं की मौतों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। साथ ही राज्य सरकार से इस संबंध में एक विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट की मांग की है। कोर्ट ने सरकार को रिपोर्ट पेश करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है।

मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने मानव-वन्यजीव संघर्ष से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है।

क्या है पूरा मामला

यह फैसला एक याचिका की सुनवाई के दौरान लिया गया। कोर्ट को एक याचिका दिया गया कि किसानों द्वारा अपने खेतों की सुरक्षा के लिए अवैध रूप से लगाए गए हाई-वोल्टेज तारों और बिजली विभाग की लापरवाही के कारण बड़ी संख्या में बेजुबान जानवर अपनी जान गंवा रहे हैं। याचिका में यह भी रेखांकित किया गया कि कई बार हाथियों और अन्य जंगली जानवरों की मौत करंट लगने से हुई है।

कोर्ट का निर्णय

सुनवाई के दौरान, हाई कोर्ट ने मुआवजा वितरण में देरी और सुरक्षा उपायों की कमी से पैदा हो रहे खतरों पर गहरी नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि बिजली विभाग और वन विभाग, दोनों ही इस गंभीर समस्या के लिए जिम्मेदार हैं। अदालत ने यह भी माना कि जानवरों के पास कानूनी अधिकार नहीं हो सकते हैं, लेकिन राज्य का यह कर्तव्य है कि वह उनके लिए एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करे।

सरकार को दी गई 4 हफ्ते की मोहलत

हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से निम्नलिखित बिंदुओं पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है-

●करंट लगने से मरने वाले जानवरों की संख्या और प्रजाति-वार डेटा।

●ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सरकार और बिजली वितरण कंपनियों द्वारा उठाए गए सुधारात्मक और निवारक उपाय।

●सुरक्षा मानकों का पालन न करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों/व्यक्तियों के खिलाफ की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई।

●पीड़ित पशुपालकों को मुआवजा वितरण की स्थिति और उसमें हो रही देरी का कारण।

भविष्य मे ऐसी घटनाओ को कम करने मे मिलेगी मदद

हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में बनाई जा रही नीति की भी स्टेटस रिपोर्ट मांगी है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को प्रभावी ढंग से रोका जा सके। रिपोर्ट आने के बाद, कोर्ट जनहित याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार करेगा और आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर सकता है। इस मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी। यह आदेश मध्य प्रदेश में वन्यजीव संरक्षण और पशु सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण

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The Forest Times
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