महाराष्ट्र में उत्पाती बंदरों की अब खैर नही! छोड़े जाएंगे मानव बस्तियों से 10 किमी दूर

मुंबई (महाराष्ट्र)

महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में मानव-बंदर संघर्ष को कम करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण शासनादेश जारी किया है। इस पहल के तहत कस्बों और गांवों में उत्पात मचाने वाले बंदरों को पकड़कर मानव बस्तियों से करीब 10 किमी दूर वन क्षेत्र मे छोड़ा जाएगा, ताकि वे आसानी से मानव बस्तियों में वापस न लौट सकें। इस पहल की मदद से राज्य मे बंदरो के उत्पात और मानव-बंदर संघर्ष को कम करने मे मदद मिलेगी।

बंदर मचा रहे है राज्य मे उत्पात

पिछले कई सालो से महाराष्ट्र के कई इलाकों मे बंदरों का आतंक काफी हद तक बढ़ गया है, जिसने स्थानीय लोगो और प्रशासन को आजीज कर रखा है। राज्य के कई शहरी और ग्रामीण इलाकों में बंदरों का आतंक एक गंभीर समस्या बन चुका है।

वे न केवल घरों में घुसकर सामान और खाद्य सामग्री को नुकसान पहुंचाते थे, बल्कि लोगों, खासकर बच्चों पर हमला भी करते थे। जिससे स्थानीय लोगो और किसानों मे काफी आक्रोश है। वे लगातार सरकार से इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने की मांग करते रहते है।

लोगो की शिकायतों पर वन विभाग की टीम बंदरो को पकड़कर आस-पास के जंगलों में छोड़ देते थे, जिससे वे जल्द ही बड़ी आसानी से दुबारा मानव बस्तियों में वापस आ जाते थे। इस नई पहल की मदद से इस समस्या पर काफी हद तक रोक लगाने मे मदद मिलेगी।

पकड़कर छोड़ा जाएगा मानव बस्तियों से 10 किमी दूर

इस नए शासनादेश के अनुसार उत्पाती बंदरो को मानव बस्तियों से पकड़कर करीब 10 किमी दूर वन क्षेत्रों मे छोड़ा जाएगा, जहां से उनका वापस लौटना मुश्किल हो और साथ ही उन्हें उनका प्राकृतिक आवास मिल सके।

इसके अलावा, कोंकण क्षेत्र जैसे अत्यधिक प्रभावित इलाकों में बंदरों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए नसबंदी केंद्र स्थापित करने पर भी विचार किया जा रहा है। इस नई नीति से उम्मीद है कि मानव-बंदर संघर्ष में कमी आएगी और दोनों के बीच सह-अस्तित्व सुनिश्चित किया जा सकेगा।

क्या है शासनादेश

न्यूनतम दूरी- पकड़े गए उत्पाती बंदरों को मानव बस्तियों से कम से कम 10 किलोमीटर की दूरी पर छोड़ा जाएगा।

प्रशिक्षित टीमें- वन विभाग ने इस कार्य के लिए प्रशिक्षित कैप्चर टीमों की नियुक्ति को मंजूरी दी है। यह टीमें बंदरों को बिना नुकसान पहुंचाए पकड़ेंगी।

पारदर्शी प्रक्रिया- पूरी पकड़-छोड़ प्रक्रिया पारदर्शी होगी, जिसमें पकड़े गए प्रत्येक बंदर की तस्वीरें और वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी।

प्रोत्साहन राशि- स्थानीय निकायों, जैसे महानगर पालिका, नगर पालिका, नगर पंचायत और ग्राम पंचायत क्षेत्रों में, उपद्रवी बंदरों को पकड़कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ने के लिए पेशेवरों को प्रोत्साहन राशि या भुगतान दिया जाएगा।

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The Forest Times
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