मिडघाट स्टेशन बन रहा वन्यजीवों के लिए ‘डेथ जोन’

रायसेन (मध्य प्रदेश)

हाल ही में मध्य प्रदेश के रातापानी टाइगर रिजर्व में हुई एक असहनीय घटना के बाद वहां के वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। रायसेन जिले के औबेदुल्लागंज वन मंडल के अंतर्गत आने वाले मिडघाट रेल सेक्शन में मंगलवार रात एक नर बाघ की ट्रेन की चपेट में आने से दर्दनाक मौत हो गई।

बताया जा रहा है कि बाघ शिकार का पीछा करते हुए रेलवे ट्रैक पर आ गया था। यह घटना पिछले पांच दिनों के भीतर इस क्षेत्र में बाघ की दूसरी मौत है, जिसने वन विभाग और रेलवे प्रशासन की नींद उड़ा दी है।

हादसे का विवरण

जानकारी के अनुसार यह हादसा मंगलवार रात लगभग 9 बजे बरखेड़ा और चौका मिडघाट स्टेशनों के बीच हुआ। निजामुद्दीन-पुणे एक्सप्रेस की तेज रफ्तार टक्कर से बाघ गंभीर रूप से घायल हो गया और मौके पर ही उसकी मौत हो गई। टक्कर इतनी भीषण थी कि बाघ का शव इंजन में फंसकर करीब 25 मीटर तक घिसटता चला गया।

स्टेशन मास्टर द्वारा घटना की सूचना तत्काल वन विभाग के अधिकारियों को दी गई। सूचना मिलने के बाद वन विभाग का अमला और वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि बाघ शायद किसी जानवर का पीछा कर रहा था, जिसके चलते वह ट्रैक पर आ गया और ट्रेन की चपेट में आ गया।

मिडघाट बना वन्यजीवों के लिए ‘यमराज’

यह दुखद घटना दर्शाती है कि रातापानी टाइगर रिजर्व का मिडघाट इलाका वन्यजीवों के लिए एक ‘डेथ जोन’ में तब्दील हो चुका है। पिछले एक दशक में अकेले इसी बुधनी-बरखेड़ा रेलवे ट्रैक पर कम से कम 9 बाघ, 12 तेंदुए, दो भालू और कई अन्य जंगली जानवर ट्रेन हादसों में अपनी जान गंवा चुके हैं।

वन विभाग अधिकारियों ने बार-बार रेलवे से इस संवेदनशील क्षेत्र में ट्रेनों की गति सीमा निर्धारित करने और सुरक्षा उपाय लागू करने की अपील की है, लेकिन इन चेतावनियों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है।

वन विभाग और रेलवे के बीच तनातनी

इस घटना के बाद एक बार फिर वन विभाग और रेलवे प्रशासन के बीच तनाव की स्थिति बन गई है। कुछ वन अधिकारियों ने तो दुर्घटनाग्रस्त ट्रेन को जब्त करने तक की मांग कर डाली है। अधिकारियों का कहना है कि रेलवे को वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए। इन आवश्यक उपायों में अंडरपास, नॉइज़ बैरियर्स, लाइट बैरियर्स और घुसपैठ का पता लगाने वाली प्रणाली लागू करना शामिल है। हालांकि, कई प्रस्ताव अभी भी केवल कागजों तक ही सीमित हैं।

पुरानी घटनाओं की गूंज

यह पहली बार नहीं है जब इस रूट पर ऐसा हादसा हुआ है। जुलाई 2024 में भी इसी बुधनी-मिडघाट लाइन पर एक बाघिन की ट्रेन से टकराकर मौत हो गई थी, जबकि उसके दो शावक गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उस समय एक हृदय विदारक दृश्य देखने को मिला था, जब बाघिन अपने घायल शावकों के पास बैठी उन्हें चाट रही थी, जिससे बचाव दल को पास जाने में मुश्किल हो रही थी। बाद में, रेलवे ने शावकों को बचाने के लिए भोपाल से एक विशेष एसी कोच वाली ट्रेन भेजी थी।

आगे की कार्रवाई

मृत बाघ का शव ट्रैक से हटाकर चंद्रपुर के ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर ले जाया गया, जहां पशु चिकित्सकों की एक टीम द्वारा उसका पोस्टमार्टम किया जाएगा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मौत के सही कारणों की पुष्टि होगी। इस नवीनतम घटना ने मध्य प्रदेश में बाघों की मौतों के बढ़ते आंकड़ों पर चिंता बढ़ा दी है, जिसने राज्य के ‘टाइगर स्टेट’ के ताज पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

वन्यजीव संरक्षण से जुड़ी संस्थाएं लगातार मांग कर रही हैं कि इस ‘किलर ट्रैक’ पर स्पीड लिमिट का सख्ती से पालन किया जाए और वन्यजीवों की आवाजाही के लिए सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित किए जाएं, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सके।

Author Profile

The Forest Times
The Forest Times

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top