राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस: जलीय पारिस्थितिकी तंत्र मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है डॉल्फिन

भारत में हर साल 5 अक्टूबर को ‘राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस’ मनाया जाता है। यह दिन डॉल्फिन के संरक्षण, उनके आवासों, और हमारे पर्यावरण और जीवन मे उनकी भूमिका के बारे मे जागरूक करता हैं। गंगा डॉल्फिन भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव हैं। यह हमारे स्वस्थ जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में अपनी अहम भूमिका निभातें हैं।

राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस मनाने का निर्णय मार्च 2022 में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एनबीडब्ल्यूएल) की सिफारिश पर केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा लिया गया था। इसका उद्देश्य लोगों को डॉल्फिन के संरक्षण के प्रति जागरूक करना और उन्हें इस प्रयास में शामिल होने के लिए प्रेरित करना है।

भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव हैं गंगा डॉल्फिन

गंगा नदी डॉल्फिन (प्लैटनिस्टा गैंगेटिका) एक जलीय जीव हैं, जिसे ‘सूंस’ भी कहा जाता है जिसकी खोज 1801 में हुई थी। गंगा नदी डॉल्फिन नदियों के संगम के आसपास गहरे पानी में रहना पसंद करती हैं। यह सिर्फ गंगा मे ही नहीं, बल्कि ब्रह्मपुत्र और मेघना जैसी नदियों में भी पायी जाती है। 2009 में भारत सरकार ने गंगा डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया, जिससे इसके संरक्षण के प्रयासों को और गति मिली

।यह लगभग एक दृष्टिहीन प्रजाति है जो इकोलोकेशन (प्रतिध्वनि निर्धारण) पर निर्भर होती है। इसकी यह विशेषता इसे अपने शिकार और वातावरण का पता लगाने में मदद करती है। वे केवल मीठे पानी में ही रह सकती और इसका वजन अधिकतम 150 किलो तक हो सकता हैं। अधिकारिक आकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश मे सबसे अधिक गंगा नदी डॉल्फिन पाई जाती हैं और उसके बाद असम में।

गंगा नदी डॉल्फिन का संरक्षण है आवश्यक

नदियों मे बढ़ते प्रदूषण और अपने अंधाधुंध शिकार के कारण गंगा नदी डॉल्फिन कुछ सी सालों मे विलुप्त होने की कगार पर आ जाएंगी। इनकी संख्या घटकर अब 2000 से भी कम चुकी हैं। भारत सरकार द्वारा इनके संरक्षण के लिए विभिन्न पहल शुरू किए गए है। 15 अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नदी डॉल्फिन और समुद्री डॉल्फिन दोनों के संरक्षण के लिए “प्रोजेक्ट डॉल्फिन” का शुरू किया।

इनके अवैध शिकार को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है, नदियों मे औद्योगिक कचरा और कीटनाशकों से होने वाले प्रदूषण को बहाने वालों पर कानूनी कार्रवाई करने के आदेश हैं। गंगा डॉल्फिन के संरक्षण के लिए विभिन्न पहल किए जा रहे हैं।

स्वस्थ जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को बनाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है डॉल्फिन

डॉल्फिन को अक्सर एक स्वस्थ जलीय पारिस्थितिकी तंत्र का ‘अंब्रेला स्पीशीज’ माना जाता है, जिसका अर्थ है कि उनके संरक्षण से नदी में रहने वाले कई अन्य जीवों की रक्षा भी होती है। राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस हमें याद दिलाता है कि इन बुद्धिमान और सामाजिक जीवों का संरक्षण केवल उनके लिए ही नहीं, बल्कि हमारे ग्रह के समग्र स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह दिन हमें जल प्रदूषण कम करने, नदियों को साफ रखने और डॉल्फिन के प्रति संवेदनशील बनने की प्रेरणा देता है।

Author Profile

The Forest Times
The Forest Times

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top