देहरादून
वन्यजीव सप्ताह, प्रतिवर्ष 2 से 8 अक्टूबर तक मनाया जाता है। इस साल इसे एक महत्वपूर्ण संरक्षण अभियान के रूप में मनाया गया, ‘मानव-वन्यजीव सह-अस्तित्व’ की थीम पर आधारित यह समारोह IGNFA, देहरादून में आयोजित किया गया, जिसमें केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने संकटग्रस्त प्रजातियों और मानव–वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन पर केंद्रित पांच नई राष्ट्रीय परियोजनाओं की शुरुआत की। इस कार्यक्रम को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा Wildlife Institute of India (WII), ICFRE, IGNFA, और FRI के सहयोग से आयोजित किया गया।
वन्यजीव सप्ताह 2025 का उद्देश्य
वन्यजीव सप्ताह, जो प्रतिवर्ष 2 से 8 अक्टूबर तक मनाया जाता है, वन्यजीव संरक्षण और पारिस्थितिक संतुलन के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। इस वर्ष ‘मानव-वन्यजीव सह-अस्तित्व’ थीम के तहत, इसका उद्देश्य लोगों को वन्यजीवों के साथ सह-अस्तित्व में रहने और ‘संघर्ष से सह-अस्तित्व’ की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करना है। ये नई परियोजनाएँ इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नवीन, प्रौद्योगिकी-संचालित और समुदाय-केंद्रित दृष्टिकोणों की आवश्यकता पर जोर देती हैं। संरक्षण केवल एक कर्तव्य नहीं, बल्कि प्रकृति और मनुष्यों के बीच सामंजस्य सुनिश्चित करने की एक साझा जिम्मेदारी है।
वन्यजीव सप्ताह 2025 की पाँच नई परियोजनाएँ :-
वन्यजीव सप्ताह 2025 के दौरान शुरू की गई पाँच नई परियोजनाएँ विशिष्ट प्रजातियों के संरक्षण और मानव-वन्यजीव सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने पर केंद्रित हैं।
●प्रोजेक्ट स्लॉथ बेयर (भालू): यह परियोजना स्लॉथ बेयर के संरक्षण के लिए समर्पित है। इन भालुओं को अक्सर मानव बस्तियों के पास भोजन की तलाश में भटकते देखा जाता है, जिससे मानव-भालू संघर्ष होता है। यह परियोजना स्लॉथ बेयर के आवासों को सुरक्षित करने, संघर्ष को कम करने और स्थानीय समुदायों को जागरूकता प्रदान करने पर केंद्रित है। इस पहल से इन भालुओं की आबादी को स्थिर करने और उनके प्राकृतिक व्यवहार को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

●प्रोजेक्ट घड़ियाल: गंगा और उसकी सहायक नदियों में पाए जाने वाले घड़ियाल, जो गंभीर रूप से लुप्तप्राय हैं, को बचाने के लिए यह परियोजना शुरू की गई है। इस परियोजना का उद्देश्य घड़ियालों के प्राकृतिक आवासों की रक्षा करना, उनकी आबादी की निगरानी करना और अवैध शिकार को रोकना है। इसके तहत घड़ियालों के प्रजनन को बढ़ावा देने के लिए भी विशेष प्रयास किए जाएँगे।

●मानव-वन्यजीव सह-अस्तित्व परियोजना: यह परियोजना एक व्यापक पहल है जिसका उद्देश्य मानव और वन्यजीवों के बीच बढ़ते संघर्ष को कम करना है। यह समुदायों को शिक्षित करने, संघर्ष को रोकने के लिए समाधान विकसित करने और उन क्षेत्रों में वन्यजीवों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने पर केंद्रित है जहाँ मानव बस्तियाँ हैं। इसमें फसल सुरक्षा, क्षतिपूर्ति के प्रावधान और वन्यजीवों के लिए सुरक्षित गलियारों का निर्माण भी शामिल है।
●टाइगर रिजर्व के बाहर बाघों की पहल: यह पहल उन बाघों की सुरक्षा पर केंद्रित है जो संरक्षित क्षेत्रों के बाहर रहते हैं। इसमें समुदाय-संचालित संरक्षण, कैमरा ट्रैप और लैंडस्केप स्तर की योजनाएँ शामिल हैं।

●प्रोजेक्ट डॉल्फिन (फेज़ II) : नदी और समुद्री डॉल्फ़िन के संरक्षण और निगरानी का विस्तार करना, उनकी आवास में सुधार करना, पानी के भीतर होने वाले शोर को कम करना, मछली पकड़ने के खतरों को कम करना और प्रदूषण नियंत्रण।

Author Profile

Latest entries
UncategorizedDecember 28, 2025जंगली सूअर ने किया वन दारोगा पर हमला, हालत गंभीर
UncategorizedDecember 25, 2025पेंच की बाघिन का ‘हवाई सफर’….
UncategorizedDecember 23, 2025JU में जैवविविधता और जलवायु परिवर्तन पर दो-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ
UncategorizedDecember 20, 2025हरदा बालाघाट के बांस के फर्नीचर एवं सजावट के सामान को लोगों ने सराहा
