M.B. LUWANG, इम्फाल(मणिपुर)
हर साल 16 सितंबर को ‘विश्व ओजोन दिवस’ मनाया जाता है। मणिपुर पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन निदेशालय और मणिपुर प्रदुषण बोर्ड की संयुक्त साझेदाररी से इम्फाल निदेशालय मे ‘विश्व ओज़ोन दिवस’ को मनाया गया। कार्यक्रम मे शिक्षक, गैर-शिक्षण कर्मचारी, शोधकर्ताओं सहित कई छात्र भी मौजूद रहे। इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र द्वारा दुनिया को ओजोन लेयर के उभरते समस्याओ के प्रति सचेत करने में विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाने का विषय चुना है।
कार्यक्रम मे मणिपुर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव डॉ. डब्ल्यू. रोशन सिंग, एनपीसीसीएचएच, स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के निदेशक डॉ. वाई. निवेदा देवी, पर्यावरण विज्ञान धनमांजुरी विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. लिकमाबाम संजय मैतेई के साथ-साथ अन्य लोग भी शामिल रहे।

ओजोन लेयर का क्षय है गंभीर समस्या
कार्यक्रम की अध्यक्षा पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय के निदेशक डॉ. टी. ब्रजकुमार सिंह ने की। उनहोने ओजोन लेयर के परत और पृथ्वी के लिए उसके योगदान पर प्रकाश डाला साथ ही ओजोन लेयर के क्षीण होने वालो कारणो पर भी विशेष चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस विश्व ओज़ोन दिवस 2025 पर हम अपनी ओज़ोन परत को संरक्षित करने और आने वाली पीढ़ियों के लिए पृथ्वी की करने की अपनी व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी के साथ फिर से प्रतिबद्ध हों।
धनमंजुरी विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. लिकमबाम संजय मेइतेई ने कहा कि ओज़ोन लेयर हम विज्ञान की मदद से ओजोन लेयर को बचा सकते है। समय की माँग के हिसाब से अपने विकल्पों में छोटे-छोटे बदलाव लाना चाहिए जिससे ओजोन लेयर को बचाने मे मदद मिल सके। जैसे कि ओज़ोन के अनुकूल उत्पादों का उपयोग करे ,हानिकारक रसायनों के अत्याधिक इस्तेमाल से बचे, जलवायु परिवर्तन से निपटे, और पर्यावरणीय रणनीतियों का समर्थन करे, आदि।
इसके बाद कार्यक्रम की कमान राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनपीसीसीएचएच) की राज्य नोडल अधिकारी डॉ. वाई निवेदा देवी ने संभाली, उन्होंने ओजोन क्षरण का स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावो को दर्शाया। उनहोने कहा कि जलवायु परिवर्तन केवल एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं बल्कि एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन स्वास्थ्य के मूलभूत निर्धारकों को प्रभावित करता है जैसे स्वच्छ हवा, पेयजल, खाद्य और आश्रय,आदि।

क्या है ओजोन लेयर और उसकी भूमिका
ओजोन लेयर हमारी पृथ्वी की सतह से लगभग 10-50 किमी ऊपर तक की पराबैंगनी किरणो से हमे सुरक्षा प्रदान करती है लेकिन अत्याधिक औद्योगिक और मानव उत्पादों की वजह से वायुमंडल मे हैलोजन गैसो की मात्रा बढ़ रही है जिस कारण ओजोन लेयर पतली हो रही है। एक सर्वेक्षण से पता चला है कि अंटार्कटिका मे ओजोन लेयर में अत्यधिक कमी देखी जा रही है जो एक गंभीर विषय है।
ओजोन लेयर को कम करने वाले कारक
ओजोन लेयर को नष्ट करने मे क्लोरोफ्लोरस कार्बनस(CFCs), जैसे CFC-11, CFC-12, CFC-113, CFC-114, CFC-115, हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFCs), कुछ अन्य गैसें जैसे हैलोन, मिथाइल ब्रोमाइड, कार्बन टेट्राक्लोराइड, NOx और कुछ ग्रीन हाउस गैसें (GHGs) भी शामिल है।
ओज़ोन लेयर के कम होने से पृथ्वी की सतह पर सूर्य किरणो का सीधा प्रभाव पड़ता है जिसके कारण जिससे सतह सामान्य से अधिक गर्म होता है,जोकि नुकसानदायक है। ओज़ोन क्षरण का कारण बनने वाले सीएफ़सी और अन्य हेलोकार्बन प्रबल ग्रीनहाउस गैसें (जीएचजी) हैं और वायुमंडल में इनके बढ़ने से होने वाले तापन प्रभाव को बढ़ा रहे है।
Author Profile

Latest entries
UncategorizedDecember 25, 2025पेंच की बाघिन का ‘हवाई सफर’….
UncategorizedDecember 23, 2025JU में जैवविविधता और जलवायु परिवर्तन पर दो-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ
UncategorizedDecember 20, 2025हरदा बालाघाट के बांस के फर्नीचर एवं सजावट के सामान को लोगों ने सराहा
UncategorizedDecember 18, 2025सांभर झील का ‘गुलाबी अवतार’
