साल 18 सितंबर कों ‘विश्व बांस दिवस’ मनाया जाता है। वर्ष 2025 के लिए, इसका विषय ‘नेक्स्ट जनरेशन बंबू: सॉल्यूशन, इनोवेशन, और डिज़ाइन’ चुना गया। इसे विश्व बांस संगठन द्वारा 2009 में बांस की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिए शुरू किया गया। यह दिन बांस की महत्ता, उसके पर्यावरणीय लाभ और जीवन में उसके उपयोग के लिए समर्पित है।
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांस उत्पादक है, वही मध्य प्रदेश देश में बांस उत्पादन में सबसे आगे है। भारत में बांस की लगभग 136 प्रजातियाँ पाई जाती हैं और लगभग 13.96 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में बांस की खेती में फैली हुई है। भारत में बांस को उसकी उपयोगिता, आर्थिक लाभ और पर्यावरणीय लाभों के कारण “हरा सोना” माना जाता है।कमर्शियल उद्देश्य के लिए भारत में बांस की 10 प्रजातियां ज्यादा खास हैं। इनमें बम्बुसा टुल्डा, बैम्बोस, बम्बुसा बलूका, पॉलीमॉर्फा, बम्बुसा नूतन, डेंड्रोकैलेमस एस्पर, डेंड्रोकैलेमस हैमिल्टन, थायरोस्टैचिस ओलिवेरी और मेलोकेन्ना बेसीफेरा शामिल हैं।
ऐतिहासिक रूप से, बांस का उपयोग एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में निर्माण, शिल्प, भोजन और अनुष्ठानों में हज़ारों वर्षों से किया जाता रहा है। तेज़ी से पुनर्जीवित होने और कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने की अपनी क्षमता के कारण, अब इसे एक नवीकरणीय संसाधन के रूप में मनाया जाता है जो दुनिया भर के समुदायों और पारिस्थितिक तंत्रों दोनों का समर्थन करता
बांस का महत्व
बाँस दुनिया के सबसे तेज़ी से बढ़ने वाले पौधों में से एक है, जो कुछ ही वर्षों में परिपक्व हो जाता है। यह घास की एक प्रजाति है। बाँस के महत्वपूर्ण लाभ-
●पर्यावरणीय प्रभाव : बांस अन्य पौधों की तुलना में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करता है और अधिक ऑक्सीजन छोड़ता है, जिससे ग्रीनहाउस गैसों को कम करने के प्रयासों को समर्थन मिलता है।
●नवीकरणीयता : बांस कटाई के बाद दोबारा पुनः उग जाते हैं, जिससे पेड़ो की कटाई का खतरा कम हो जाता है और भूमि को पुनः उपजाऊ बनाने में मदद मिलती है।
●आर्थिक अवसर : निर्माण, हस्तशिल्प और दैनिक उपयोग के उत्पादों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला बांस ग्रामीण आजीविका और टिकाऊ उद्योगों को सहायता प्रदान करता है।
●सांस्कृतिक विरासत : बांस कला, शिल्प कला, संगीत और अनुष्ठानों में बांस का उपयोग होता हैं।

बांस का उपयोग
बांस का उपयोग कई क्षेत्रों में होता है, जैसे निर्माण, फर्नीचर, हस्तशिल्प, कपड़े, खाना, और पारंपरिक चिकित्सा। अपनी मजबूती, लचीलेपन और तेजी से बढ़ने की वजह से यह एक बहुमुखी और टिकाऊ सामग्री है।
●निर्माण और वास्तुकला: बांस का उपयोग घर, झोपड़ी, छत, फर्श, मचान और पुल बनाने के लिए किया जाता है।
●घरेलू वस्तुएं और फर्नीचर: बांस से मजबूत और सुंदर फर्नीचर, हस्तशिल्प वस्तुएं, बर्तन और औजार बनाने ने इस्तेमाल किया जाता हैं।
●उद्योग और ऊर्जा: बांस का उपयोग कागज, कपड़े और जैव ईंधन को बनाने के लिए किया जाता है।
●औषधीय और खाद्य: बांस का उपयोग आयुर्वेद और अन्य पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में किया जाता है। और इससे स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाए जाते है।
●अन्य उपयोग: बांस का उपयोग संगीत वाद्ययंत्र उत्पादों को बनाने मे किया जाता। इसका उपयोग कृषि क्षेत्र मे बाड़ लगाने के लिए किया जाता है। साथ ही बांस मिट्टी के कटाव को रोकने में भी सहायक होते है।
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