नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार की महत्वाकांक्षी 10,000 एकड़ की ‘अरावली चिड़ियाघर सफारी परियोजना’ पर फिलहाल अस्थायी रूप से रोक लगा दी है। यह रोक पर्यावरणविदों और पांच पूर्व भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारियों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए लगाई गई है, जिन्होंने इस परियोजना को अरावली पारिस्थितिकी तंत्र के लिए विनाशकारी बताया है।
क्या है पूरा मामला
सितंबर 2022 में हरियाणा सरकार ने गुरुग्राम और नूंह के जिलों में लगभग 10,000 एकड़ भूमि पर दुनिया के सबसे बड़े जंगल सफारी पार्क बनाने की योजना की घोषणा की थी। इस योजना पशु पार्क, पक्षी पार्क, तितली उद्यान, और प्रकृति पथ शामिल थे। राज्य सरकार का तर्क था कि इस परियोजना से बंजर और खराब हो चुकी भूमि को बहाल करने मे मदद मिलेगी।
पर दूसरी तरफ यह परियोजना विवादो मे फस गई। इसपर विरोध जताते हुए भारतीय वन सेवा (IFS) के पांच सेवानिवृत्त अधिकारियों और पर्यावरण समूह ‘पीपल फॉर अरावली’ द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि इस परियोजना से अरावली का नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र खराब हो सकता है।
क्या रहा सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अपने अगले आदेश तक परियोजना पर कोई भी निर्माण या विकासात्मक गतिविधि करने पर रोक लगा दिया है। 8 अक्टूबर 2025 को सुनवाई के दौरान अदालत ने हरियाणा सरकार व केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को इस परियोजना पर रोक और पुनविर्चार करने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद हरियाणा सरकार ने एक दलील पेश की जिसमे सफारी पार्क का आकार घटाकर 3,000 एकड़ करने का फैसला किया और यह भी दावा किया कि इस परियोजना को इस प्रकार सफल किया जाएगा जिससे क्षेत्र मे 70% हरियाली बनी रहेगी।
16 अक्टूबर 2025 को राज्य सरकार की इस दलील पर फैसला सुनाते हुए भी सुप्रीम कोर्ट ने इन तर्कों को स्वीकार नहीं किया और रोक हटाने से इनकार कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि मुख्य प्रश्न यह है कि क्या वन भूमि पर इस प्रकार का सफारी पार्क या चिड़ियाघर बनाया जा सकता है। पीठ ने कहा कि जब तक इस मूल प्रश्न पर स्पष्ट निर्णय नहीं हो जाता, तब तक परियोजना पर रोक जारी रहेगी।
हालाकि, इस मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर, 2025 खो होगी। आगे इस परियोजना पर क्या फैसला रहेगा वह उसी दिन पता चलेगा।
क्या है इस परियोजना पर रोक का कारण
अरावली पर्वत श्रृंखला दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत प्रणालियों में से एक है। यह दिल्ली-एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों के लिए मरुस्थलीकरण को रोकने वाली एक प्राकृतिक ढाल के रूप में कार्य करती है। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि सफारी परियोजना वन्यजीव गलियारों को बाधित कर सकती है और भूजल पर दबाव बढ़ा सकती है। इन्ही कारणो की वजह से सुप्रीम कोर्ट इस परियोजना पर रोक लगा रही है।
Author Profile

Latest entries
UncategorizedDecember 28, 2025संजय टाइगर रिजर्व में न्यू ईयर का क्रेज, 5 जनवरी तक सभी सफारी बुकिंग हुईं फुल
UncategorizedDecember 28, 2025जंगली सूअर ने किया वन दारोगा पर हमला, हालत गंभीर
UncategorizedDecember 25, 2025पेंच की बाघिन का ‘हवाई सफर’….
UncategorizedDecember 23, 2025JU में जैवविविधता और जलवायु परिवर्तन पर दो-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ
