हरियाणा में 10,000 एकड़ मे जंगल सफारी पार्क बनाने का प्रस्ताव, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

गुरुग्राम (हरियाणा)

हरियाणा के गुरुग्राम और नूंह जिलों में अरावली पर्वत श्रृंखला में 10,000 एकड़ क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा जंगल सफारी पार्क विकसित करने की महत्वाकांक्षी परियोजना को फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय ने रोक दिया है। यह परियोजना, जिसका उद्देश्य विश्व स्तरीय वन्यजीव अनुभव और पर्यावरण-पर्यटन को बढ़ावा देना था, अब कानूनी चुनौतियों का सामना कर रही है।

परियोजना का विवरण

यह परियोजना हरियाणा सरकार और केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक संयुक्त पहल है, जिसमें केंद्र सरकार भी आर्थिक सहायता प्रदान करने वाली थी। परियोजना की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित है-:

क्षेत्रफल: गुरुग्राम और नूंह जिलों में अरावली क्षेत्र में 10,000 एकड़।

उद्देश्य: पर्यावरण संरक्षण, प्राकृतिक सौंदर्य और एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा देना।

विशेषताएँ: इसमें शेर, बाघ, तेंदुए जैसे जानवरों के लिए बाड़े, विभिन्न प्रकार के जानवरों, पक्षियों और पौधों के प्राकृतिक आवास, एक पक्षी अभयारण्य और ट्रेकिंग ट्रेल्स शामिल करने की योजना थी।

प्रेरणा: यह परियोजना गुजरात के ‘वनतारा’ मॉडल और संयुक्त अरब अमीरात के शारजाह सफारी पार्क जैसे वैश्विक मॉडलों से प्रेरित थी।

प्रवेश द्वार: पार्क में प्रवेश के लिए चार द्वार प्रस्तावित थे, जिनमें से एक दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर सोहना के नजदीक था।

रोजगार: इस परियोजना से स्थानीय पर्यटन बढ़ने और लोगों को रोजगार के अवसर मिलने की उम्मीद थी, साथ ही होम स्टे पॉलिसी के तहत ग्रामीणों को भी लाभ मिलता।

कानूनी अड़चनें और सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप

इस परियोजना की घोषणा के बाद से ही पर्यावरणविदों ने चिंता जताई थी। हाल ही में, इस योजना को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह परियोजना व्यावसायिक हितों को प्राथमिकता देती है और पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील अरावली पहाड़ियों के लिए विनाशकारी होगी, जो दिल्ली-एनसीआर के पर्यावरण स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।

वर्तमान स्थिति

वर्तमान में, अरावली जंगल सफारी परियोजना पर सुप्रीम कोर्ट की रोक जारी है और इस मामले पर आगे की सुनवाई होनी है। हरियाणा सरकार इस महत्वाकांक्षी योजना को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत है, लेकिन कानूनी बाधाओं के कारण परियोजना की प्रगति धीमी हो गई है। सरकार को उम्मीद है कि वह सभी पर्यावरणीय चिंताओं को दूर कर सकेगी और इस अनूठी पारिस्थितिक पर्यटन स्थल का निर्माण कर पाएगी।

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The Forest Times
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