हिमालया दिवस: इतिहास, ज़रूरत और संवेदनशीलता

प्रशांत मेश्राम, भोपाल

हर वर्ष 9 सितंबर को हिमालया दिवस मनाया जाता है। यह दिन हिमालय क्षेत्र की जैव विविधता, जलवायु नियंत्रण, प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा और वहाँ रहने वाले लोगों की जीवनशैली व संरक्षण के महत्व को जनता के विचार में लाने के उद्देश्य से नियत किया गया है।

इतिहास एवं आरंभ

●हिमालया दिवस की आधिकारिक मान्यता 2014 में हुई, जब उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस पहल को राज्य स्तर पर स्वीकार किया।

●इसकी पहल पर्यावरणविद् अनिल जोशी और “Himalayan Environmental Studies and Conservation Organization” (HESCO) जैसे संगठनों ने की।

●यह दिन उन प्राकृतिक आपदाओं की प्रतिक्रिया स्वरूप चुना गया, जो हिमालय की नाजुक पारिस्थितिकी को उजागर कर गई थीं, जैसे 2010 की मॉनसून बाढ़ और 2013 की केदारनाथ आपदा।

क्यों 9 सितंबर?

इस तारीख का चयन विशेष रूप से आपदाओं से प्रेरित है:

●2010 मॉनसून बाढ़ और भूस्खलन ने दिखाया कि कैसे हिमालयी इलाका अत्यधिक कमजोर है।

●2013 की केदारनाथ त्रासदी ने प्राकृतिक संतुलन और मनुष्यों की तैयारी की कमी को उजागर किया।

महत्व और उद्देश्य

हिमालया दिवस मनाने के पीछे कई प्रमुख उद्देश्य हैं:

1-पारिस्थितिकी संरक्षण – वनों की कटाई, ग्लेशियरों का पिघलना और जैव विविधता की रक्षा।

2-आपदा-प्रबंधन – बाढ़, भूस्खलन, बादल फटना जैसी आपदाओं से निपटने की तैयारी।

3-सतत विकास – पहाड़ी इलाकों में बेहतर शहरीकरण और अवसंरचना।

4-सामुदायिक भागीदारी – स्थानीय समुदाय, स्कूल और संस्थानों को जोड़कर जागरूकता फैलाना।

2025 की विशेषताएँ

इस वर्ष हिमालया दिवस की 15वीं वर्षगाँठ है।

विशेष विषय:

○“Himalaya and Disaster” — प्राकृतिक आपदाओं से जुड़ी चुनौतियाँ।

○“The Himalayan Cleanup Speaks” — प्लास्टिक कचरे और स्वच्छता पर ध्यान।

○“Dynamics of Monsoon Weather Extremes” — मानसून के चरम प्रभावों की पड़ताल।

चुनौतियाँ

●बढ़ती प्राकृतिक आपदाएँ और जलवायु परिवर्तन।

●अव्यवस्थित शहरीकरण और पर्यटन।

●पर्यावरणीय नियमों के प्रभावी क्रियान्वयन की कमी।

समाधान

●हिमालय क्षेत्र के लिए विशेष नीतियाँ और कानून।

●जनजागरूकता अभियान और शैक्षिक कार्यक्रम।

●स्थानीय समुदाय + सरकार + NGO का सहयोग।

●सतत पर्यटन और प्लास्टिक-मुक्त जीवनशैली को बढ़ावा।

निष्कर्ष

हिमालया दिवस केवल एक औपचारिक दिवस नहीं है, बल्कि यह हमारे भविष्य को सुरक्षित रखने की चेतावनी है। हिमालय केवल पर्यटन का प्रतीक नहीं, बल्कि हमारी जलवायु, जल और जीवन के लिए रीढ़ है। इसे बचाना हमारी साझा ज़िम्मेदारी है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1: हिमालया दिवस कब मनाया जाता है?

उत्तर: हर साल 9 सितंबर को हिमालया दिवस मनाया जाता है।

प्रश्न 2: हिमालया दिवस की शुरुआत कब और कहाँ हुई?

उत्तर: इसकी शुरुआत 2010 में उत्तराखंड से हुई और 2014 में इसे आधिकारिक मान्यता मिली।

प्रश्न 3: हिमालया दिवस क्यों मनाया जाता है?

उत्तर: हिमालय की पारिस्थितिकी, जैव विविधता, जलवायु संतुलन और आपदा प्रबंधन के महत्व को याद दिलाने के लिए।

प्रश्न 4: 9 सितंबर की तारीख क्यों चुनी गई?

उत्तर: यह तारीख 2010 और 2013 की प्राकृतिक आपदाओं (मॉनसून बाढ़ और केदारनाथ त्रासदी) की स्मृति में चुनी गई।

प्रश्न 5: हिमालय हमें क्या देता है?

उत्तर: हिमालय पानी, जैव विविधता, औषधीय पौधे, मौसम संतुलन और प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करता है।

प्रश्न 6: 2025 के हिमालया दिवस का विशेष फोकस क्या है?

उत्तर: इस वर्ष का फोकस है – Disaster and Himalaya, Himalayan Cleanup, और Extreme Monsoon Weather।

प्रश्न 7: आम लोग इसमें कैसे योगदान दे सकते हैं?

उत्तर: पर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली अपनाकर, प्लास्टिक कम करके, स्थानीय कार्यक्रमों में भाग लेकर और जागरूकता फैलाकर।

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The Forest Times
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