हरियाणा
हरियाणा मे पेड़ों को काटना अब से इतना आसान नहीं होगा। हरियाणा में पेड़ो की अवैध कटाई पर अंकुश लगाने और हरियाली को बढ़ावा देने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक अहम फैसला लिया। अब से हरियाणा में भी पेड़ काटने से पहले क्षेत्र के डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। अभी तक निजी भूमि पर पेड़ काटने के लिए इतनी कड़ी मंजूरी की ज़रूरत नहीं थी।
हालांकि इस फैसले मे सात पेडों को शामिल नही किया गया हैं जिससे कृषि वानिकी और व्यवसाय को बढ़ावा मिल सके।
पेड़ काटने से पहले लेनी पड़ेगी DFO की अनुमति
यह नियम सरकारी और निजी भूमि दोनो पर लागू होगी। अब से प्रदेश मे पेड़ काटने से पहले डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) की इजाजत लेनी होगी और नियम का उल्लंघन करने पर दोषी पर भारी जुर्माना लगाए लाने का प्रावधान हैं। अभी तक यह नियम सिर्फ जंगल क्षेत्र तक सीमित था, पर अब से इसे प्रदेश के हर भूमि क्षेत्र पर लागू कर दिया गया।
क्या होगा पेड़ काटने का नया नियम
पेड़ काटने का अनुमति लेने के लिए पेड़ काटने वाले व्यक्ति को भूमि का प्रकार, काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या और प्रकार, और उन्हें काटने के कारणों के बारे में DFO को पूरी जानकारी देनी होगी। इसके बाद DFO को साइट का निरीक्षण करना होगा और 90 दिनों के अंदर फैसला लेना होगा। अगर पेड़ काटने की इजाजत मिल जाती है, तो DFO के शर्त के मुताबिक काटे गए हर एक पेड़ के बदले कम से कम तीन स्वदेशी प्रजातियों के पेड़ लगाना अनिवार्य होगा।
NGT ने लिया यह अहम फैसला
यह फैसला NGT की बेंच जस्टिस अरुण कुमार त्यागी (न्यायिक सदस्य) और अफरोज अहमद (विशेषज्ञ सदस्य) ने सुनाया। फैसले को सुनाते उन्होने कहा कि “कोई भी व्यक्ति निजी या सरकारी जमीन, नगर निगमों, सार्वजनिक संस्थानों या कंपनियों की जमीन पर लगे किसी भी पेड़ को DFO की इजाजत के बिना नहीं काट सकता।”
यह फैसला रोहतक के सुखबीर सिंह की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान लिया गया। सुखबीर सिंह ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) द्वारा सेक्टर 6, रोहतक में विकास परियोजनाओं के लिए करीब 1,000 पेड़ काटने पर आपत्ति जताई थी।
सात पेड़ो को रखा गया है फैसले से बाहर
इस फैसले मे सात पेड़ो को शामिल नही किया गया हैं। जिसमे सफेदा, पापुलर, उल्लू नीम, बकायन, बांस, अमरूद एवं शहतूत शामिल हैं। किसान इन सात पेड़ो को बिना DFO की इजाजत के बिना काट सकेंगे। यह फैसला कृषि वानिकी और व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए लिया गया हैं। कृषि वानिकी के लिए सात पेड़ों की कटाई की छूट किसानों को कई सालों से दी हुई है।
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