नर्मदा (गुजरात)
गुजरात के नर्मदा ज़िले से एक बड़ी ही अजीबोगरीब घटना सामने आई हैं। जहा गूगल मैप्स पर दिए गए दिशानिर्देश पर चलते हुए ट्रैकिंग के लिए निकले पांच इंजीनियर रास्ता भटककर घने जंगल में फंस गए। घंटो की मशक्कत के बाद, उन्हें वन विभाग और स्थानीय लोगों की मदद से सुरक्षित बाहर निकाला गया। यह घटना सवाल खड़ा करती हैं कैसे पूरी तरह से डिजिटल नेविगेशन पर निर्भर रहना इस हद तक खतरनाक साबित हो सकता है।
ट्रैकिंग पर निकले थे पाँचों इंजीनियर, लिया गूगल मैप्स की मदद
पांचों इंजीनियर मूल रूप से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के रहने वाले हैं, जो छुट्टी मनाने और ट्रैकिंग के लिए गुजरात आए थे। उन्होंने ट्रैकिंग के लिए नर्मदा जिले के जरवानी गांव के पास तुंगई हिल पर जाने का मन बनाया। गूगल मैप्स पर लोकेशन सर्च करने के बाद, वे अपनी बाइक जरवानी के भांगड़ा फलिया के पास छोड़कर पैदल ही जंगल की चढ़ाई करने लगे।
शुरुआत में सब कुछ ठीक लग रहा था, लेकिन जैसे-जैसे वे आगे बढ़े, उन्हें एहसास हुआ कि वे जंगल के भीतर गहरे और अनजान रास्तों पर जा रहे हैं। दोपहर लगभग 2:30 बजे, उन्हें पक्का हो गया कि वे रास्ता भटक चुके हैं और जिस जगह पर वे जाना चाहते थे, वह कहीं और थी।
गूगल मैप्स ने उन्हें एक ऐसे रास्ते पर भेज दिया था, जो असल में कोई ट्रैकिंग रूट नहीं था, बल्कि एक खतरनाक और उबड़-खाबड़ जंगल का रास्ता था। उन्होने घंटों तक जंगल में रास्ता खोजने की कोशिश की, लेकिन घनी झाड़ियों और दुर्गम रास्तों के कारण वे सफल नहीं हो पाए। शाम होते-होते, वे पूरी तरह से घबरा गए और मदद की तलाश मे किसी को ढूंढने लगे।
घंटो तक रेस्क्यू कर वन विभाग उन्हे ढूंढने मे हुए कामयाब
जब इंजीनियरों को अपनी गलती का एहसास हुआ, तब तक काफी देर हो चुकी थी। वे घने जंगल के बीच में फंस चुके थे। सौभाग्य से, उनका मोबाइल नेटवर्क पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ था। उन्होंने तुरंत अपनी लोकेशन पुलिस को भेजी और मदद मांगी। सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस, वन विभाग और बचाव दल तुरंत हरकत में आ गए। लेकिन घने जंगल और शाम होते अंधेरे के कारण बचाव कार्य में मुश्किलें आ रही थीं।
कई घंटों की खोजबीन और अथक प्रयासों के बाद, बचाव दल उन पांचों तक पहुँचने में कामयाब रहा। थककर चूर और डरे हुए इन इंजीनियरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। इस घटना ने एक बार फिर साबित किया कि तकनीक पर आंखें मूंदकर भरोसा करना कितना खतरनाक हो सकता है।
तकनीक के साथ-साथ कॉमन सेंस भी ज़रूरी
यह ऐसी पहली घटना नहीं है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जब गूगल मैप्स के गलत डायरेक्शन की वजह से लोग मुसीबत में फंसे हैं। इन घटनाओं से सबक लेना जरूरी है। हमें डिजिटल नेविगेशन के साथ-साथ अपने कॉमन सेंस का भी इस्तेमाल करना चाहिए।
अगर कोई रास्ता अनजान या खतरनाक लगे, तो स्थानीय लोगों से मदद मांगने में हिचकिचाना नहीं चाहिए।डिजिटल युग में तकनीक हमारी जिंदगी को आसान बना रही है, लेकिन उसकी सीमाओं को समझना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, ऐप अक्सर सबसे छोटे रास्ते का सुझाव देता है, भले ही वह कितना भी खतरनाक क्यों न हो। इसलिए हमे पूरी तरह से डिजिटल नेविगेशन पर निर्भर नही रहना चाहिए।
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- Roshni journalist reporter covers the fascinating blend of farming and tourism for theforesttimes.com.
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