जयपुर (राजस्थान)
राजस्थान वन्यजीव विभाग कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है, जिससे वन्यजीवों और वनों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। सरकारी रिपोर्टस के अनुसार प्रदेश में वन विभाग में कर्मचारियों की संख्या स्वीकृत पदों की तुलना में बहुत कम है। विशेषकर फील्ड स्तर पर, जैसे वनपाल और वनरक्षकों के पदों पर, कर्मचारियों की कमी बहुत ज्यादा है।
कर्मचारियों की कमी का असर वन्यजीवों की निगरानी, अवैध शिकार पर नियंत्रण और मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों पर पड़ रहा है। हालांकि राज्य सरकार इस समस्या पर कई कदम उठा रही हैं।
क्या हो रहा इसका नकारात्मक प्रभाव
●अवैध शिकार में वृद्धि: कर्मचारियों की कमी के कारण वन्यजीव अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों में गश्त का काम ठीक से नहीं हो पाता। इसका फायदा उठाकर शिकारी अपनी गतिविधियों को अंजाम देते हैं, जिससे वन्यजीवों के अवैध शिकार की घटनाएं बढ़ जाती हैं।
●मानव-वन्यजीव संघर्ष: जब वन्यजीव भोजन और पानी की तलाश में मानव बस्तियों के करीब आते हैं, तो मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ जाता है। ऐसे मामलों में वन विभाग के कर्मचारियों की तुरंत प्रतिक्रिया देने की क्षमता कम हो जाती है। कर्मचारियों की कमी के कारण वन्यजीवों के व्यवहार की निगरानी और उन्हें उनके प्राकृतिक आवास में रखने के प्रयास कमजोर पड़ जाते हैं।
●वन्यजीवों के आवास की सुरक्षा: कर्मचारियों की कमी के कारण वन माफिया सक्रिय हो जाते हैं। वे अवैध रूप से पेड़ों की कटाई और वन भूमि पर अतिक्रमण करते हैं। यह वन्यजीवों के आवास को नुकसान पहुंचाता है और जैव विविधता के लिए खतरा पैदा करता है।
●वन्यजीवों का बचाव और उपचार: बीमार या घायल वन्यजीवों को समय पर उपचार नहीं मिल पाता। कई बार कर्मचारियों की कमी और विशेषज्ञ वन्यजीव चिकित्सकों की अनुपलब्धता के कारण वन्यजीवों की मौत हो जाती है।
●पर्यटन प्रबंधन: राजस्थान में वन्यजीव पर्यटन एक महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत है। कर्मचारियों की कमी के कारण वन्यजीव अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों में पर्यटन का प्रबंधन भी प्रभावित होता है। इससे पर्यटकों की सुरक्षा और वन्यजीवों की शांति बनाए रखने में चुनौतियां आती हैं।
क्या हो सकता है इसका समाधान
इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए कई उपाय आवश्यक हैं:-
●रिक्त पदों की भर्ती: सरकार को जल्द से जल्द वन्यजीव विभाग में खाली पड़े पदों को भरना चाहिए।
●प्रशिक्षण और संसाधन: फील्ड कर्मचारियों को वन्यजीव संरक्षण के लिए उन्नत प्रशिक्षण और आधुनिक उपकरण उपलब्ध कराए जाने चाहिए।
●सामुदायिक भागीदारी: वन्यजीवों के संरक्षण में स्थानीय समुदायों को शामिल करने से कर्मचारियों के बोझ को कम किया जा सकता है और निगरानी को बेहतर बनाया जा सकता है।
●तकनीक का इस्तेमाल: गश्त और निगरानी के लिए ड्रोन और सेंसर जैसी आधुनिक तकनीक का उपयोग करना चाहिए।
●जन जागरूकता: लोगों को वन्यजीवों के महत्व और उनके संरक्षण की आवश्यकता के बारे में जागरूक करना भी महत्वपूर्ण है।
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