भोपाल (मध्यप्रदेश)
मध्य प्रदेश के खंडवा और देवास जिलों के वन क्षेत्रों को मिलाकर बनाए जाने वाले प्रस्तावित ओंकारेश्वर वन्यजीव अभयारण्य को राज्य सरकार से हरी झंडी मिल गई है। यह अभयारण्य लगभग 61 हजार हेक्टेयर (लगभग 611 से 614 वर्ग किलोमीटर) के विशाल क्षेत्र में फैला होगा।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस, 1 नवंबर को इसकी आधिकारिक घोषणा करते हुए परियोजना पर हरी झंडी दी। यह परियोजना पिछले 39-40 वर्षों से कागजों में अटकी हुई थी, जिसे अब हरी झंडी मिल गई है और इसके साथ ही यह मध्य प्रदेश का 27वां वन्यजीव अभयारण्य बन गया है।
क्या है इसकी विशेषताएं
प्रस्तावित ओंकारेश्वर अभयारण्य निमाड़ क्षेत्र का सबसे बड़ा वन्यजीव अभयारण्य होगा। इसमें खंडवा और देवास जिलों के वनक्षेत्र शामिल होंगे। जिसमें खंडवा जिले के पुनासा, मूंदी, चांदगढ़ और बलडी वन परिक्षेत्र शामिल होगें और देवास जिले के सतवास, कांटाफोड़, पुंजापुरा और उदयनगर परिक्षेत्र शामिल होगे। इस अभयारण्य की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसके अंतर्गत नर्मदा नदी में 52 छोटे-बड़े टापू (द्वीप) शामिल हैं, जिससे यह क्षेत्र इको-टूरिज्म का एक बड़ा केंद्र बनने की संभावना है।
क्या है इसका महत्व
ओंकारेश्वर अपने 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर देश मे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। सेंचुरी के निर्माण से धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ वन्यजीव और इको-टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा। इस अभयारण्य के बनने से न केवल इस क्षेत्र में वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी यह महत्वपूर्ण होगा।
यहां आने वाले पर्यटक नदी, पहाड़, जंगल और टापुओं के अद्वितीय प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव कर सकेंगे। सरकार असम से जंगली भैंसे और गेंडे लाने की भी योजना बना रही है, जिससे यहां की जैव विविधता और समृद्ध होगी। यह मध्य प्रदेश का 13वां नेशनल पार्क या 26वीं वाइल्ड लाइफ सेंचुरी है, जो राज्य के वन्यजीव मानचित्र में एक नया अध्याय जोड़ेगी।
क्या है इसका मुख्य उद्देश्य
इस सेंचुरी का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता, विशेषकर नर्मदा नदी के जलीय जीवों और आसपास के वन क्षेत्रों के वन्य प्राणियों का संरक्षण करना है। यह क्षेत्र पहले ही तेंदुओं का नया ठिकाना बन चुका है। अभयारण्य में बाघों सहित अन्य खतरनाक जानवरों को भी देखा जा सकेगा।हाल ही में, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नर्मदा नदी में छह मगरमच्छों को छोड़ा, जो इस अभयारण्य के जलीय जीवन का हिस्सा बनेंगे।
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