भोपाल (मध्य प्रदेश)
भारत सरकार ने चीतों के पुनर्वास और उनके कुनबे को बढ़ाने के लिए दिसम्बर के अंत तक बोत्सवाना से आठ चीतों को लाने का फैसला किया है। हाल ही मे केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने घोषणा किया कि दिसंबर 2025 के तीसरे सप्ताह तक बोत्सवाना से आठ चीतों को भारत लाया जाएगा।
ये चीते भारत की महत्वाकांक्षी ‘प्रोजेक्ट चीता’ का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य देश में चीतों की आबादी को फिर से स्थापित करना है, जो 1952 में विलुप्त हो गए थे। आने वाले चीतों को शुरू में कूनो नेशनल पार्क में क्वारंटाइन में रखा जाएगा, जिसके बाद उन्हें मध्य प्रदेश के गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थानांतरित किया जाएगा।
चीतों की विलुप्त हो चुकी प्रजाति को पुनर्वास करने मे मिलेगी मदद
यह योजना भारत में चीतों की प्रजातियों के विलुप्त होने के 70 साल बाद उन्हें फिर से लाने के प्रयास का हिस्सा है। भारत मे चीतों के पुनर्वास के लिए ‘प्रोजेक्ट चीता’ नामक अभियान चलाया गया है। इससे पहले सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आठ चीते नामीबिया से कूनो लाए गए थे। इसके बाद, फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते लाए गए थे।
बोत्सवाना से आने वाले ये चीते, नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए पिछले बैचों के बाद, भारत में चीता पुनर्वास के प्रयासों को और मजबूत करेंगे। शुरुआत में, कुछ चीतों की मौत ने चिंताएं पैदा की थीं, लेकिन अधिकारियों ने हिम्मत नहीं हारी जिसके फलस्वरुप चीते कुछ समय बाद देश की मिट्टी मे ढल गए।
देशी होने लगे है चीते
मौजूदा समय में, भारत में लगभग 27 चीते हैं, जिनमें से 16 देश में पैदा हुए शावक हैं। हालांकि शुरुआत मे इन्होंने बहुत सी मुश्किलों का सामना किया, पर समय के साथ-साथ वीवे विदेशी चीते देसी बन गए। इनमे से अधिकांश चीते कूनो नेशनल पार्क में रहते है,और कुछ गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में रहते है।
नए चीतों के आगमन से जहां एक ओर उम्मीदें जगी हैं, वहीं दूसरी ओर विशेषज्ञ संभावित चुनौतियों के प्रति भी सतर्क हैं। पिछली मौतों और चीतों के व्यवहार के आधार पर, विशेषज्ञ दल ने बेहतर निगरानी और प्रबंधन के लिए सुझाव दिए हैं। नए चीतों को क्वारंटाइन में रखने और उनकी सेहत पर कड़ी नजर रखने से वन्यजीवों के लिए एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
पर्यटन को भी मिलेगा बढ़ावा
प्रोजेक्ट चीता न केवल भारत में चीतों को वापस लाने के लिए एक प्रयास है, बल्कि इसका उद्देश्य घास के मैदानों और उनके पारिस्थितिकी तंत्र को भी बहाल करना है। चीता एक महत्वपूर्ण शिकारी है जो इन पारिस्थितिकी तंत्रों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। इस परियोजना से स्थानीय समुदायों के लिए भी रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है, जिससे पर्यटन और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। इसके अतिरिक्त, यह दुनिया का पहला अंतरमहाद्वीपीय बड़े मांसाहारी जानवर का स्थानांतरण कार्यक्रम है, जो वैश्विक वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों में भारत के योगदान को दर्शाता है।
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