बाघों के हमले के बाद बांदीपुर और नागरहोल की सफारी को किया गया अस्थायी रूप से बंद

मैसूरु (कर्नाटक)

कर्नाटक के वन मंत्री ईश्वर बी. खंड्रे ने एक फैसला लिया है। क्षेत्र मे लगातर हो रहे बाघो के घातक हमलों के बाद बांदीपुर और नागरहोल टाइगर रिजर्व में सभी सफारी को तत्काल रूप से बंद कर दिया गया है। इसके अलावा मानव-वन्यजीव संघर्ष वाले क्षेत्रों में ट्रेकिंग पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके साथ ही वन मंत्री ने बाघ को जल्द से जल्द पकड़ने का निर्देश दिया है।

एक महीने मे तीन किसानो की हो चुकी है मौत

यह फैसला मैसूरु और चामराजनगर जिलों से सटे इलाकों में पिछले एक महीने से हो रहे बाघ के हमलों में तीन किसानों की मौत के बाद लिया गया। लगातार हो रही ऐसे मौतों ने स्थानीय लोगों में दहशत पैदा कर दी थी, जिसके कारण वन विभाग पर तत्काल और प्रभावी कार्रवाई की मांग तेज हो गई थी।

इन घटनाओं पर वन मंत्री खंड्रे ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए हुए बांदीपुर और नागरहोल अभयारण्यों में सभी सफारी गतिविधियों को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया और अधिकारियों को जल्द से जल्द बाघो को पकड़ने का निर्देश दिया। उन्होने आगे यह भी कहा कि अगर इस फैसले से भी घटनाएं नियंत्रित नही हुई तो आगे चलकर सफारी पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाएगी।

शाम की सफारी पर पहले ही लगा दी गयी थी रोक

किसान संगठनों की शिकायत थी कि रात में सफारी वाहनों की तेज रोशनी और शोर के कारण जंगली जानवर अपने प्राकृतिक आवास से बाहर निकलकर खेतों और गांवों की ओर चले आते है, जिसकी वजह से लगातर ऐसी घटनाओं हो रहीं है।

इन घटनाओं को देखते हुए वन मंत्री ने 28 अक्टूबर को ही शाम 6 बजे के बाद होने वाली नाइट सफारी को रद्द करने का आदेश दे दिया था। मंत्री ने कहा कि वन्यजीव सफारी पर्यावरण शिक्षा, पर्यटन और स्थानीय रोजगार के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इसके साथ-साथ वन्यजीवों का संरक्षण और आस-पास के समुदायों की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए।

हालांकि, इसके बाद भी जानवरों का हमला कम नहीं हुआ जिसके बाद सफारी पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना ही उचित लगा।

मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकना है जरूरी

वन क्षेत्रों के पास अनियंत्रित पर्यटन गतिविधियों और रिसॉर्ट्स की वजह से क्षेत्र मे मानव-वन्यजीव संघर्ष में वृद्धि हो रही है। इस गंभीर समस्या पर जल्द से जल्द निदान जरूरी है। यह समस्या सिर्फ कर्नाटक तक ही सीमित नही है बल्कि पूरा देश इससे जूझ रहा है। मानव-वन्यजीव संघर्ष मे जानवरो के साथ-साथ इंसानो पर भी खतरा रहता है।

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The Forest Times
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