भोपाल (मध्यप्रदेश)
मध्य प्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व में एक बार फिर से जंगली भैंसों की दहाड़ गूंजेगी। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने इस लुप्तप्राय प्रजाति को मध्य प्रदेश में फिर से बसाने की एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है। इस योजना के तहत असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और मानस अभयारण्य से कुल 50 जंगली भैंसे चरणबद्ध तरीके से कान्हा राष्ट्रीय उद्यान लाया जाएगा।
परियोजना का उद्देश्य
मध्य भारत में कभी बड़ी संख्या में पाए जाने वाले जंगली भैंसे अब यहां से लगभग विलुप्त हो चुके हैं। इस पुनर्वास परियोजना का मुख्य उद्देश्य मध्य प्रदेश में जंगली भैंसों की आबादी को पुनर्जीवित करना और उनकी संख्या में वृद्धि करना है। यह कदम राज्य की जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि भारत में पाए जाने वाले 80% से अधिक जंगली भैंसे पूर्वोत्तर और मध्य भारत में दो अलग-अलग समूहों में रहते हैं। हालांकि, मध्य भारत में इनकी संख्या तेजी से गिरी है, जिससे संरक्षण की तत्काल आवश्यकता महसूस की जा रही थी।
पाच सालो मे लाए जाएंगे 50 जंगली भैंसे
योजना के अनुसार, कुल 50 जंगली भैंसों को पाँच वर्षों में कान्हा टाइगर रिजर्व में लाया जाएगा। पहले चरण में, इनमें से 15 से 20 जंगली भैंसों को असम से कान्हा टाइगर रिजर्व में लाया जाएगा। इस योजना में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भैंसों की संख्या प्रजनन के उद्देश्य से बढ़े, ताकि भविष्य में वे स्वतंत्र रूप से जंगल में रह सकें।
कान्हा में हो रही है विशेष तैयारी
कान्हा टाइगर रिजर्व में जंगली भैंसों को बसाने के लिए दो स्थानों, सुखा सुफखार और भैसन घाट को चिह्नित किया गया है। इन भैंसों को शुरुआत में बाड़ों के अंदर रखा जाएगा ताकि वे नए वातावरण के आदी हो सकें और प्रजनन कर सकें। भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट जैसी संस्थाएं भी इस तरह की पुनर्प्राप्ति परियोजनाओं में शामिल रही हैं, जिसका उद्देश्य मध्य भारत में जंगली भैंसों की आबादी को स्थिर करना है।
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल मध्य प्रदेश को बाघ और तेंदुए की संख्या में कीर्तिमान स्थापित करने के बाद, विलुप्त हो रही अन्य प्रजातियों के संरक्षण में सिरमौर बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। इस परियोजना से वन्यजीव प्रेमियों और पर्यटकों में भी खासा उत्साह है, जो कान्हा में इन शानदार जीवों को फिर से देखने का इंतजार कर रहे हैं।
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