त्रिशूर (केरल)
केरल मे त्रिशूर जिले के पुथुर जूलॉजिकल पार्क से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। जहा पार्क मे हुई एक बड़ी सुरक्षा चूक के कारण आवारा कुत्तों के पार्क मे घुसने से 10 चित्तीदार हिरणों की मौत हो गई। इस घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया।
हालांकि, इस दर्दनाक घटना ने पार्क की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पार्क का उद्घाटन लगभग एक महीने पहले ( 28 अक्टूबर को) प्रदेश के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन द्वारा किया गया था।
कुत्तो को बाड़े मे देख घबरा गए थे हिरण
मिली जानकारी के अनुसार यह दुखद घटना मंगलवार की सुबह सामने आई जब चिड़ियाघर के कर्मचारियों ने 10 चित्तीदार हिरणों को उनके बाड़े में मृत पाया। जब उनके मौत की जांच की गई तो प्रारंभिक जाँच मे पाया गया कि उनकी मौत सीधे तौर पर कुत्तों के काटने से नहीं, बल्कि कुत्तों के हमले से हुए घबराहट और बचाव के कारण हुई है।
इस घटना पर मुख्य वन पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण जकारिया ने बताया कि हिरणों में घबराहट की स्थिति मे ‘कैप्चर मायोपैथी’ नामक एक तनाव-संबंधी स्थिति विकसित हो जाती है। इस मामले मे भी यही हुआ। कुत्तों के बाड़े में घुसे देख सभी हिरण घबराकर अंधाधुंध अपने बचाव के लिए भागने लगे, जिससे वे बाड़े की दीवारों से टकरा गए। जिससे उन्हें जानलेवा चोटें आईं और सदमे से उनकी मौत हो गई।

पार्क की सुरक्षा पर सवाल खड़ा कर रही यह घटना
इस दुखद घटना ने सभी को अंदर से झकझोर रख दिया है।यह घटना भारत के पहले “डिजाइनर चिड़ियाघर” के रूप में प्रचारित किए गए पुथुर जूलॉजिकल पार्क की तैयारियों और सुरक्षा प्रोटोकॉल पर गंभीर सवाल उठाती है, जो 336 एकड़ में फैला है और इसे एशिया के सबसे बड़े चिड़ियाघरों में से एक माना जाता है।
चिड़ियाघर प्रशासन की ओर से सुरक्षा में हुई इस चूक की व्यापक आलोचना हो रही है। अधिकारियों ने कथित तौर पर बार-बार अनुरोध के बावजूद घटना से संबंधित सीसीटीवी फुटेज साझा करने से इनकार कर दिया है, जिससे पारदर्शिता की कमी को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
राज्य सरकार ने इस मामले की गहन जाँच के लिए मुख्य वन्यजीव वार्डन की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस पैनल में मुख्य वन पशु चिकित्सा अधिकारी और एक वरिष्ठ सतर्कता अधिकारी शामिल हैं, जिन्हें चार दिनों के भीतर एक प्रारंभिक रिपोर्ट और दो सप्ताह में विस्तृत सिफारिशों के साथ अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंपने का निर्देश दिया गया है।
डॉ. जकारिया ने सुझाव दिया कि आवारा कुत्ते कर्मचारियों या बाहरी लोगों द्वारा डंप किए गए खाद्य अपशिष्ट की ओर आकर्षित हुए होंगे और परिसर में प्रवेश के संभावित बिंदुओं की पहचान कर उन्हें तुरंत सील किया जाना चाहिए।
क्या हो रही इस घटना पर कार्रवाई
घटना के बाद, चिड़ियाघर को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। फिलहाल आम जनता के लिए इसे पूरी तरह से बंद रखा गया है वही केवल स्कूल और कॉलेज समूहों को ही प्रवेश की अनुमति दी गई है। वही ‘फ्रेंड्स ऑफ जू’ नामक संगठन ने तत्काल सुरक्षा ऑडिट और सभी संरचनात्मक खामियों को दूर करने की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। वही इस घटना ने वन्यजीव संरक्षण और आवारा कुत्तों के मुद्दे पर देशव्यापी बहस को फिर से हवा दे दी है।
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