चिक्कमगलुरु (कर्नाटक)
कर्नाटक के चिक्कमगलुरु जिले के मुदिगेरे तालुक से एक बड़ी ही दुखद घटना सामने आई। जहा एक कॉफी एस्टेट में एक गौर (भारतीय बाइसन) का अवैध रूप से शिकार का मामला देखने को मिला है।
इस मामले मे 10 लोग शामिल थे, जिसमे मे वन विभाग के अधिकारियों ने छह लोगों को हिरासत में लिया है और अन्य कई तलाश जारी है। इस निंदनीय घटना ने वन्यजीव संरक्षण कार्यक्रमों पर सवाल खड़ाकर प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है।
गौर को मारकर पका रहे थे उसका मांस
यह घटना 8 नवंबर, 2025 की बताई जा रही है, जब वन विभाग को गुप्त सूचना मिलती है कि मुदिगेरे वन रेंज के बालूर में मंजप्पा के घर में एक गौर को मारकर उसका मांस रखा गया है। मिली सूचना के आधार पर वन विभाग की एक टीम ने 8 घर पर छापा मारा। जहा से उन्हें लगभग 1 किलोग्राम पका हुआ मांस मिला। जब मांस की जांच की गई तो पाया गया कि वह मांस गौर का है।
वन विभाग की टीम ने मांस को जब्त कर लिया और मौके पर मौजूद 6 लोगो को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के दौरान घर के मालिक मंजप्पा ने स्वीकार किया कि उन्होंने निदुवल्ली गांव के एक एस्टेट से एक गौर का शिकार किया था। साथ ही उसने बताया कि गौर को एस्टेट मालिक की बंदूक से गोली मारी गई थी जिसके बाद उसके मांस को आपस में बांट लिया गया था।
6 की हुई गिरफ्तारी, अन्य की तलाश जारी
वन विभाग के अनुसार इस मामले में कुल 10 लोग शामिल थे, जिनमें कॉफी एस्टेट का मालिक भी शामिल है। हालांकि छापे के दौरान मौजूद छह आरोपियों को पकड़ लिया गया है, जबकि अन्य चार आरोपी अभी भी फरार हैं जिनकी तलाश जारी है। गिरफ्तार किए गए लोगों में एस्टेट मैनेजर और कर्मचारी शामिल हैं।
सभी छह आरोपियों को हिरासत में ले लिया गया है। पूछताछ के दौरान उन्होंने शिकार की बात कबूल की है। आरोपियों ने यह भी बताया कि गौर को मारकर उन्होने उसके बाकी शव को एक झील में फेंक दिया था। झील की छानबीन करने पर अधिकारियों को वहा से उसकी खोपड़ी और अन्य हिस्से बरामद हुए।
वन्यजीव संरक्षण कार्यक्रमों पर गंभीर सवाल कर रही है यह घटना
गौर (भारतीय बाइसन) एक लुप्तप्राय प्रजाति है, जो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची 1 के तहत संरक्षित है। इसका शिकार करना एक गंभीर अपराध है।यह इस तरह की पहली घटना नही है। इससे पहले कर्नाटक के विभिन्न हिस्सों से गौर के अवैध शिकार के मामले देखने को मिलते है, जोकि बहुत निंदनीय है। वन्यजीव विशेषज्ञ बताते हैं कि गौर को मुख्य रूप से मांस और खाल के लिए मारा जाता है।
यह घटना विभिन्न वन्यजीव संरक्षण कार्यक्रमों पर गंभीर सवाल खड़ा कर रही है। साथ ही स्थानीय प्रशासन और वन विभाग की लापरवाही भी उजागर कर रही है।
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