मध्य प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व में नाइट सफारी पर रोक

भोपाल (मध्यप्रदेश)

मध्य प्रदेश के वन्यजीव प्रेमियों और पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण खबर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद, राज्य के सभी टाइगर रिजर्व में नाइट सफारी को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने इस संबंध में सभी फील्ड डायरेक्टरों को तत्काल प्रभाव से निर्देश जारी कर दिए हैं, जिसके बाद 1 दिसंबर 2025 से यह प्रतिबंध लागू हो जाएगा।

आदेश का कारण

यह निर्णय वन्यजीवों की सुरक्षा और उनके प्राकृतिक पर्यावास में मानवीय हस्तक्षेप को कम करने के उद्देश्य से लिया गया है। वन विभाग के अधिकारियों और वन्य प्राणी संरक्षण से जुड़े संगठनों का मानना था कि रात के समय वाहनों की आवाज़ और हेडलाइट्स की तेज़ रोशनी से जंगली जानवर, विशेषकर बाघ और अन्य दुर्लभ प्रजातियां, बुरी तरह प्रभावित होते हैं। उनके दैनिक व्यवहार और पारिस्थितिक संतुलन में व्यवधान उत्पन्न होता है, जो वन्यजीवों के लिए घातक हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप

इस मुद्दे को लेकर वन्यजीव संरक्षण संगठनों ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए, 17 नवंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश जारी किए, जिसमें वन्य जीवों की सुरक्षा और पारिस्थितिक संतुलन को प्राथमिकता देने पर जोर दिया गया। इसी आदेश के अनुपालन में, मध्य प्रदेश वन विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए नाइट सफारी पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है।

प्रभावित क्षेत्र और बुकिंग रिफंड

यह प्रतिबंध मध्य प्रदेश के प्रमुख टाइगर रिजर्व जैसे कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, पन्ना, सतपुड़ा, और संजय टाइगर रिजर्व सहित सभी संरक्षित क्षेत्रों में लागू होगा।

केवल डे सफारी: अब इन क्षेत्रों में केवल दिन के समय ही सफारी की अनुमति होगी।

बफर क्षेत्र में भी प्रतिबंध: टाइगर रिजर्व के कोर एरिया के साथ-साथ बफर क्षेत्र में भी रात के समय प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा।

रिफंड की व्यवस्था: जिन पर्यटकों ने पहले से नाइट सफारी के लिए एडवांस बुकिंग करा रखी थी, उन्हें बुकिंग का पूरा पैसा वापस (रिफंड) किया जाएगा।

पर्यटकों में निराशा

इस फैसले से निश्चित रूप से उन पर्यटकों में कुछ निराशा है जो रात के अंधेरे में जंगल के रोमांच का अनुभव करना चाहते थे। हालांकि, वन्यजीव संरक्षण की दिशा में इसे एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक कदम माना जा रहा है। अधिकारियों का तर्क है कि पर्यटन को बढ़ावा देने की तुलना में वन्यजीवों का संरक्षण कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।

Author Profile

The Forest Times
The Forest Times

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top