गुजरात के कच्छ में स्थापित होगा भारत का पहला चीता संरक्षण प्रजनन केंद्र

भुज (गुजरात)

गुजरात के कच्छ जिले में फैले विशाल बन्नी घास के मैदान में भारत का पहला चीता संरक्षण प्रजनन केंद्र स्थापित किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने इस ऐतिहासिक परियोजना को हरी झंडी दे दी है, जिसके बाद गुजरात का वन विभाग चीतों की वापसी सुनिश्चित करने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहा है।

यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी ‘प्रोजेक्ट चीता’ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उद्देश्य दशकों पहले भारत से विलुप्त हो चुके इन राजसी जानवरों को देश में फिर से बसाना है।

परियोजना का विवरण

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (CZA) के साथ मिलकर इस केंद्र को मंजूरी दी है। इस परियोजना के तहत, लगभग चार वर्ग किलोमीटर (600 हेक्टेयर) का एक विशेष बाड़ा विकसित किया गया है, जो चीतों के लिए एक अर्ध-प्राकृतिक आवास प्रदान करेगा। इस बाड़े में नर और मादा चीतों के लिए अलग-अलग अलगाव क्षेत्र बनाए गए हैं, जो सफल प्रजनन के प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

ऐतिहासिक वापसी और महत्व

यह कदम गुजरात के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है, जहाँ 78 साल पहले अंतिम चीते देखे गए थे। बन्नी घास के मैदानों को चीतों के लिए एक आदर्श आवास के रूप में पहचाना गया है, क्योंकि यह क्षेत्र प्राकृतिक शिकार आबादी और उपयुक्त पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करता है। अधिकारियों का कहना है कि इस केंद्र का उद्देश्य एक ‘संस्थापक आबादी’ स्थापित करना है, जो मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान से स्वतंत्र रूप से विकसित होगी, जहाँ ‘प्रोजेक्ट चीता’ के पहले चरण के चीते बसाए गए थे।

तैयारियां और चुनौतियाँ

वन विभाग ने केंद्र के लिए व्यापक तैयारियां की हैं:-

  • शिकार आधार बढ़ाना: चीतों के लिए पर्याप्त शिकार सुनिश्चित करने हेतु शाकाहारी जानवरों की आबादी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • सुरक्षा और निगरानी: पूरे क्षेत्र में सीसीटीवी निगरानी और एक समर्पित पशु चिकित्सा केंद्र स्थापित किया गया है।
  • विशेषज्ञता: इस केंद्र के संचालन में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और विशेषज्ञों की देखरेख में काम शुरू होगा।

प्रोजेक्ट चीता के अगले चरण में, अफ्रीका से लाए जाने वाले चीतों के अगले समूह में से कुछ को इस बन्नी केंद्र में भेजा जाएगा। जुलाई 2025 तक, अधिकारियों ने संकेत दिया था कि बन्नी घास के मैदान साल के अंत तक चीतों के स्थानांतरण के लिए तैयार हो जाएंगे।

यह केंद्र न केवल भारत में चीतों के संरक्षण के प्रयासों को मजबूत करेगा, बल्कि गुजरात को एशियाई शेर, तेंदुआ और अब चीता, इन तीन बड़ी बिल्लियों की मेजबानी करने वाला भारत का एक अनूठा राज्य भी बना देगा। स्थानीय निवासियों को भी उम्मीद है कि यह परियोजना क्षेत्र को विश्व स्तर पर पहचान दिलाएगी और पर्यटन को बढ़ावा देगी।

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The Forest Times
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