मानव-वन्यजीव संघर्ष का मुद्दा पहुंचा संसद, विपक्ष ने साधें निशाने

नई दिल्ली

हाल ही में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान देश में बढ़ते मानव-वन्यजीव बढ़ते संघर्ष के गंभीर मुद्दे को उठाया गया, जिसपर विपक्ष ने जमकर निशाना साधा। इसके साथ ही सांसदों ने सरकार को संवेदनशील विषय पर तत्काल ध्यान देने और प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा देने के साथ मानव-वन्यजीव की सुरक्षा के लिए प्रभावी उपाय करने की मांग की है। यह मुद्दा विशेष रूप से उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों से संबंधित घटनाओं के संदर्भ में गरमाया, जहां जंगली जानवरों के हमले में नागरिकों की जान गई है।

उत्तराखंड में है सबसे ज्यादा संघर्ष

उत्तराखंड के गढ़वाल से सांसद अनिल बलूनी ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए राज्य में भालू और गुलदार के हमलों में खतरनाक वृद्धि पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि कई पहाड़ी इलाकों में शाम होते ही “कर्फ्यू जैसी” स्थिति बन जाती है, जिससे स्थानीय निवासियों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है।

बलूनी ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से आग्रह किया कि भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) की एक टीम तुरंत उत्तराखंड भेजी जाए ताकि इन हमलों में अचानक आई तेजी के पीछे के कारणों की जांच की जा सके। उन्होंने राज्य सरकार को आधुनिक पिंजरों, ट्रैंक्विलाइज़िंग उपकरणों और अन्य संसाधनों के साथ मदद करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

यूपी में है तेंदुओं और भेड़ियों का आतंक

इसी तरह, उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले से सांसद राम शिरोमणि वर्मा ने भी लोकसभा में एक हृदयविदारक घटना का जिक्र किया, जहां सोहेलवा वन्यजीव प्रभाग से सटे रेहारपुरवा झौहना गांव में एक तेंदुए ने मां की गोद से एक मासूम बच्चे को छीन लिया, जिससे उसकी मौत हो गई। सांसद ने अपने संसदीय क्षेत्र, जो नेपाल सीमा से सटा हुआ है, के जंगलों के किनारे बसे गांवों में लगातार हो रहे जंगली जानवरों के हमलों पर प्रकाश डाला और सरकार से सुरक्षा सुनिश्चित करने व पीड़ितों के लिए पर्याप्त मुआवजे की मांग की।

मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करना है जरूरी

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने संसद में दिए गए जवाबों में बताया है कि सरकार मानव-बाघ, मानव-तेंदुए और मानव-हाथी संघर्ष के प्रबंधन के लिए मानक संचालन प्रक्रिया और दिशानिर्देश जारी कर चुकी है। मंत्रालय ने यह भी जानकारी दी कि वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो और राज्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रयासों से पिछले कुछ वर्षों में वन्यजीवों के अवैध व्यापार के मामलों की संख्या में गिरावट आई है।

सरकार ने अवैध शिकार और वन्यजीव अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिनमें ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ और राष्ट्रीय उद्यानों व अभयारण्यों की स्थापना शामिल है। संसद में हुई चर्चाओं ने स्पष्ट कर दिया है कि कानूनों का सख्ती से पालन और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए जमीनी स्तर पर त्वरित कार्रवाई समय की मांग है। सांसदों ने न केवल वन्यजीवों के आवासों के संरक्षण पर जोर दिया, बल्कि यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि वन क्षेत्रों के आसपास रहने वाले निर्दोष ग्रामीणों का जीवन और आजीविका सुरक्षित रहे।

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The Forest Times
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