दुधवा और झारखंड में बाघों की गणना शुरू: हाई-टेक तरीकों से तैयार की जाएगी रिपोर्ट

लखनऊ/ रांची

भारत के दो प्रमुख बाघ अभयारण्यों उत्तर प्रदेश के दुधवा टाइगर रिजर्व और झारखंड के सभी वन क्षेत्रों में अखिल भारतीय बाघ आकलन का नवीनतम चरण शुरू हो गया है। यह गणना देश में बाघों की आबादी और वन्यजीवों के संरक्षण की स्थिति का पता लगाने के लिए हर चार साल में होने वाली राष्ट्रीय जनगणना का हिस्सा है।

इस प्रक्रिया में आधुनिक तकनीकियों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसमें व्यापक कैमरा ट्रैप और डिजिटल ऐप शामिल हैं। जिसका उपयोग करके यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि गणना सटीक और वैज्ञानिक हो।

दुधवा में 10 दिसंबर से अभियान शुरू

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में स्थित दुधवा टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना का कार्य 10 दिसंबर, 2025 से शुरू हो चुका है। यह प्रक्रिया अगले साल मई 2026 तक चलेगी। दुधवा प्रशासन ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए व्यापक तैयारियां की हैं।

  • तकनीक का उपयोग: दुधवा के चप्पे-चप्पे पर लगभग 1,200 आधुनिक कैमरा ट्रैप लगाए गए हैं। ये कैमरे बाघों की आवाजाही की तस्वीरें और डेटा कैप्चर करेंगे।
  • वैज्ञानिक पद्धति: वर्ल्ड वाइल्ड फंड फॉर नेचर जैसी संस्थाएं तकनीकी सहयोग कर रही हैं। एकत्र की गई तस्वीरें भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून को भेजी जाएंगी, जहां व्यक्तिगत पहचान के लिए डेटा का विश्लेषण किया जाएगा।
  • अन्य वन्यजीव: इस गणना में केवल बाघ ही नहीं, बल्कि तेंदुए, हाथी और गैंडों जैसे अन्य महत्वपूर्ण वन्यजीवों की संख्या भी दर्ज की जाएगी।
  • डिजिटल प्रक्रिया: इस बार पूरी प्रक्रिया को डिजिटल बनाया गया है। सभी आंकड़े ‘एम-स्ट्राइप्स ईको ऐप’ के माध्यम से दर्ज किए जा रहे हैं, जिससे डेटा की सटीकता और विश्वसनीयता बढ़ेगी।

पिछली रिपोर्ट के अनुसार, दुधवा रिजर्व में बाघों की संख्या 64% बढ़कर 135 हो गई थी, जो एक बड़ी सफलता थी।

झारखंड में 15 दिसंबर से होगी शुरुआत

झारखंड राज्य के सभी वन प्रभागों और संरक्षित क्षेत्रों, विशेष रूप से पलामू टाइगर रिजर्व में 15 दिसंबर, 2025 से बाघों और अन्य वन्यजीवों की गणना शुरू होगी। यह अभियान 22 दिसंबर तक चलेगा जिसमें लगभग 1,600 कर्मचारी और स्वयंसेवक तैनात किए जाएंगे।

  • नई पहल: झारखंड में यह पहली बार है कि बाघों की गिनती के लिए विभिन्न विश्वविद्यालयों के वनस्पति विज्ञान और प्राणीशास्त्र के छात्रों/स्वयंसेवकों को तैनात किया जा रहा है। उन्हें कौशल परीक्षण के बाद शामिल किया जाएगा।
  • बहु-प्रजाति गणना: बाघों के अलावा, राज्य में गिद्धों और हाथियों की भी गिनती की जाएगी, जो संरक्षण प्रयासों की समग्रता को दर्शाता है।
  • नोडल अधिकारी: पलामू टाइगर रिजर्व के मुख्य वन संरक्षक और फील्ड निदेशक एस आर नटेश को इस प्रक्रिया के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।

देशव्यापी प्रयास और 2026 की रिपोर्ट

भारत में हर चार साल में होने वाला अखिल भारतीय बाघ आकलन दुनिया का सबसे बड़ा वन्यजीव सर्वेक्षण है, जिसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी शामिल किया गया है। यह ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की सफलता का प्रमाण है, जिसे भारत सरकार ने 1973 में बाघों की घटती आबादी को बचाने के लिए शुरू किया था।

चल रही इस गणना का परिणाम वर्ष 2026 में जारी किया जाएगा। अंतिम विस्तृत रिपोर्ट केंद्र सरकार को 2027 में भेजी जाएगी। इन प्रयासों से प्राप्त डेटा भारत को बाघ संरक्षण में वैश्विक अग्रणी बने रहने में मदद करेगा।

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The Forest Times
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