भोपाल (मध्य प्रदेश)
हाल ही में मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से एक बड़ा ही संगीन मामला सामने आया है। जहा जंगल सफारी के दौरान राज्य के कुछ मंत्रियों पर वन्यजीव संरक्षण के नियमों के गंभीर उल्लंघन का आरोप लगाया जा रहा है। आरोप है कि मंत्रियों को बाघ दिखाने के लिए पार्क प्रबंधन द्वारा हाथियों का इस्तेमाल करके बाघों का रास्ता रोका गया था। इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसपर विवाद खड़ा हो गया है। इस घटना पर संज्ञान लेते हुए वन्यजीव कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से इसकी शिकायत की है।
हाथियों की मदद से रोका गया बाघों का रास्ता
यह मामला तब सामने आया जब मुख्यमंत्री मोहन यादव और उनके मंत्रिमंडल के कुछ सदस्य खजुराहो में एक बैठक के बाद पन्ना टाइगर रिजर्व में सफारी के लिए पहुंचे। मिली जानकारी के अनुसार सफारी के दौरान मंत्रियों को आसानी से बाघ का दीदार कराने के लिए, पार्क के अधिकारियों ने दो पालतू हाथियों की मदद ली। इन हाथियों को उस क्षेत्र में भेजा गया जहाँ बाघ मौजूद थे, ताकि वे बाघ को एक निश्चित स्थान पर रोक सकें या घेराबंदी कर सकें ताकि मंत्रियों के वाहन बाघ के करीब जाकर उन्हें नजदीक से देख सकें।
वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि मंत्री और अन्य पर्यटक, बाघ के एक झूंड का रास्ता ब्लॉक करके उसके सामने रुक गए और तस्वीरें व सेल्फी लेने लगे, जो सफारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन है, क्योंकि वन्यजीवों के प्राकृतिक व्यवहार में हस्तक्षेप करना और उनके रास्ते को रोकना सख्त मना है।
NTCA से की गई शिकायत
इस घटना पर वन्यजीव प्रेमियों और कार्यकर्ताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने इस मामले की शिकायत NTCA से की है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि यह कृत्य न केवल वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के खिलाफ है, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का भी उल्लंघन करता है। कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि जिम्मेदार वन अधिकारियों और इसमें शामिल मंत्रियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है, यह NTCA की जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।
पार्क प्रबंधन और सरकार की प्रतिक्रिया
इस मामले पर पन्ना टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने फिलहाल चुप्पी साध रखी है। हालांकि, एक मंत्री ने सफारी का लुत्फ उठाने की बात स्वीकार की है और कहा कि उन्हें एक बार नहीं, बल्कि दो बार बाघ देखने को मिले। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी इस दौरान 10 नई वीविंग कैंटर बसों को हरी झंडी दिखाकर पार्क में पर्यटन को बढ़ावा देने की पहल की थी, लेकिन यह विवाद उनकी इस पहल पर भारी पड़ गया है।
यह घटना एक बार फिर वीआईपी संस्कृति और वन्यजीव संरक्षण के बीच के विरोधाभास को उजागर करती है, जहाँ प्रोटोकॉल के नाम पर संवेदनशील प्राकृतिक आवासों में नियमों को ताक पर रख दिया जाता है।
किन नियमों का हुआ है उलंघन
यह घटना वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय के उन दिशानिर्देशों का उल्लंघन करती है जो सफारी के दौरान हाथियों का उपयोग करके बाघों का पीछा करने पर प्रतिबंध लगाते हैं। इसके अलावा, पर्यटकों के वाहनों को वन्यजीवों के बहुत करीब ले जाने या उनका रास्ता ब्लॉक करने की भी अनुमति नहीं है, क्योंकि इससे जानवरों के प्राकृतिक व्यवहार में बाधा आती है और सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है।
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