‘टाइगर स्टेट’ में हो रही बाघ की मौतें उठा रही वन विभाग पर गंभीर सवाल….

भोपाल (मध्यप्रदेश)

मध्य प्रदेश को ‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा प्राप्त है, पर राज्य में इस साल हो रहे बाघों की लगातार मौतें वन्यजीव संरक्षण‌ पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। साल 2025 से मिले आंकड़ो के अनुसार राज्य में अब तक 54 से अधिक बाघों की मौत हो चुकी है। मौत के ये आंकड़े राज्य को मिले दर्जे पर हजार सवाल उठा रही है, जो प्रशासन के लिए चिंता का विषय बन गया है। इन मौतों में कुछ कारण प्राकृतिक है, तो वहीं कुछ अप्राकृतिक। अगर ये आंकड़ों भविष्य में भी ऐसे ही रहते हैं, तो मध्य प्रदेश के ‘टाइगर स्टेट’ दर्जे पर खतरा मंडराते रहेगा।

पिछले एक हफ्ते में हुई 6 मौतें

मध्य प्रदेश में हुई इन बाघों की मौत के आंकड़े एनटीसीए द्वारा जारी किया गया है। आंकड़ों के अनुसार, इस साल देश में सबसे अधिक बाघों की मौत मध्य प्रदेश में हुई है। अबतक राज्य में कुल 54 से अधिक बाघों की मौत के मामले सामने आए हैं, जोकि राज्य सरकार और वन विभाग के लिए बेहद चिंतनीय है।

वहीं, पिछले एक हफ्ते में कुल 6 बाघों की मौत के मामले देखने को मिले हैं। वहीं एनटीसीए से मिले आंकड़ो के अनुसार, यह भी देखने को मिला है कि प्रदेश में इस साल में हुई कुल बाघों की मौते पिछले कई साल में हुई मौतों से काफी अधिक भी है। जानकारी के हिसाब से साल 2024 में 47, 2023 में 45, 2022 में 43 बाघों की मौत के मामले दर्ज किए गए हैं।

क्या मानी जा रही है इन मौतों के पीछे की वजहे

प्रदेश में हो रही लगातार बाघों की मौत के पीछे कई कारणों को माना जा रहा है, इनमें से कुछ प्राकृतिक है तो कुछ अप्राकृतिक। प्राकृतिक कारणों में बीमारी, आपसी-संघर्ष, क्षेत्रीय विवाद और वातावरण में न ढल पाना शामिल हैं, तो वहीं अप्राकृतिक कारणों में अवैध शिकार, वन्यजीव अंग तस्करी, सड़क एवं रेल मार्ग दुर्घटना, मानव-वन्यजीव संघर्ष, बिजली के तारो और बाड़ो से हुई मौते, आदि शामिल हैं।

वन विभाग और सरकार पर उठ रहे गंभीर सवाल

मौत के इन आंकड़ो ने वन विभाग और राज्य सरकार द्वारा उठाए गए वन्यजीवों संरक्षण प्रयासो पर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। वहीं इन घटनाओं के बाद प्रशासन ने सभी वन विभागो को कड़ी फटकार लगाई है, साथ ही चेतावनी दी है कि वन्यजीव संरक्षण में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

वहीं इस मामले में दोषी पाए गए संबंधित अधिकारियों के प्राशासनिक फेरबदल भी किए गए हैं। इन आंकड़ों ने न केवल मध्य प्रदेश के वन्यजीव संरक्षण पर काला धब्बा लगा दिया है, साथ ही राज्य को मिले ‘टाइगर स्टेट’ के दर्जे पर भी खतरा मंडराते हुए नजर आता दिखाई दे रहा है।

Author Profile

The Forest Times
The Forest Times

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top