सांभर झील का ‘गुलाबी अवतार’

जयपुर (राजस्थान)

पिछले कुछ दिनों से राजस्थान के जयपुर में स्थित सांभर झील चर्चा का विषय बनी हुई है। कारण है उसका ‘गुलाबी अवतार’। सांभर झील, जिसे भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील के रूप में जाना जाता है, वह तब पर्यटकों के लिए आकर्षक का केंद्र बन गई जब दूर देश से आए विदेशी मेहमानों (प्रवासी पक्षी) ने इस सफेद नमक की चादर वाली झील को गुलाबी रंग से भर दिया। इससे संबंधित फोटो और वीडियो आजकल सोशल मीडिया पर काफी वायरल चल रहे हैं, जिसने पर्यटकों का ध्यान अपनी तरफ तो खींचा ही है, साथ ही साथ इस एक नई पहचान भी दिलाई है।

जब गुलाबी रंग में रंग गया सांभर झील

सांभर झील इन दिनों पर्यटकों और पक्षी प्रेमीयो के लिए आकर्षक का केंद्र बनीं हुई है‌। साइबेरिया, रूस और अफ्रीका से हजारों किलोमीटर की यात्रा कर यहा पहुंचे लाखों फ्लेमिंगो (राजहंस), जो अपने गुलाबी रंग के पंखों के लिए जाने जाते हैं। इस साल उनकी बड़ी संख्या में मौजूदगी की वजह से उनका गुलाबी रंग पानी की सतह पर गुलाबी चादर बिछाने का काम कर रहा है, जिनकी वजह से पूरा झील गुलाबी रंग में रम गया है।

इस साल इनका रिकार्ड तोड आगमन हुआ है, अभी तक झील में फ्लेमिंगो (राजहंस) की संख्या 2.5 लाख से अधिक दर्ज की गई है, जोकि पिछले सालो की संख्या से काफी अधिक है। इस साल अच्छी बारिश के कारण झील में पानी का स्तर काफी अनुकूल रहा है, जिससे यहाँ इन पक्षियों के भोजन (शैवाल और झींगे) की प्रचुरता बढ़ गई है। इसी वजह से इस साल इन पक्षियों की संख्या में भारी वृद्धि देखी जा रही हैं। आमतौर पर ये पक्षी अक्टूबर के अंत में यहां आना शुरू करते हैं और मार्च के अंत तक यहाँ रुकते हैं।

दूर-दूर से प्रवास करने आते हैं ये प्रवासी पक्षी

हर साल सर्दियां शुरू होते ही दूर दराज से आए प्रवासी पक्षियो का जमावड़ा लगना शुरू हो जाता है। इसी तरह सांभर झील में भी उन विदेशी मेहमानों का आगमन होता है। कुछ महीनों के लिए आए ये मेहमान स्थल की शोभा तो बढ़ाते ही है साथ मे पर्यटकों के लिए आकर्षक का केंद्र भी बनते हैं। दूर-दूर से लोग इन्हें देखने आते हैं जिससे वहां पर पर्यटन को बढावा मिलता है।

सांभर झील की कुछ खास बातें

सांभर झील राजस्थान के जयपुर में स्थित है। यह भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। यहां से भारत का लगभग 8.7 प्रतिशत नमक का उत्पादन किया जाता है। इसकी जैव विविधता और प्रवासी पक्षियों के महत्व को ध्यान में रखते हुए 1990 में इसे रामसर साइट में शामिल किया गया था‌। यह भारत के मुख्य पर्यटन स्थलों में से एक है जिसके कारण हर साल लाखों पर्यटक यहां घूमने के लिए आते हैं।

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The Forest Times
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