ईओडब्ल्यू ने आदिम जाति कल्याण विभाग के उपायुक्त के घर से टाइगर की खाल, 18.41 लाख के जेवर, लाखों की नकदी, महंगी शराब और करोड़ों की संपत्ति बरामद की। आरोपी पर वन्य प्राणी और भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है।

ईओडब्ल्यू को जांच के दौरान अजाक विभाग के उपायुक्त के अधारताल स्थित पैतृक घर में तलाशी के दौरान एक टाइगर की खाल मिली है। इसके अलावा बैंक लॉकर से सोने-चांदी के जेवरात भी बरामद हुए हैं। सागर ईओडब्ल्यू की टीम ने बुधवार को सागर स्थित शासकीय आवास में दबिश दी थी। वन विभाग ने टाइगर की खाल जब्त करते हुए आरोपी के खिलाफ वन्य प्राणी अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया है।
ईओडब्ल्यू डीएसपी स्वर्णजीत सिंह धामीके अनुसार, आदिम जाति कल्याण विभाग के उपायुक्त जगदीश प्रसाद सरवटे के अधारताल स्थित पैतृक मकान में गत रात तलाशी के दौरान एक टाइगर की खाल मिली थी, जिसकी लंबाई 5 फीट 5 इंच और चौड़ाई 5 फीट 3 इंच है। टाइगर की खाल मिलने की जानकारी वन विभाग को दी गई थी। आरोपी और उसकी मां के नाम पर बैंक में संचालित संयुक्त लॉकर से 18 लाख 41 हजार रुपये मूल्य के सोने-चांदी के आभूषण बरामद हुए हैं। पैतृक निवास से मिली संपत्ति की रजिस्ट्री का मूल्य 45 लाख 53 हजार रुपये है। साथ ही, पैतृक निवास से करीब 19 लाख नकद और सागर स्थित शासकीय आवास से 2 लाख 80 हजार का सामान मिला है।
32 संपत्तियों के दस्तावेज मिले
दरअसल, ईओडब्ल्यू की तीन टीमों ने बीते दिन आदिम जाति कल्याण विभाग के उपायुक्त जगदीश प्रसाद सरवटे के जबलपुर के शंकर शाह नगर स्थित शासकीय आवास, अधारताल स्थित निजी आवास और भोपाल के बाग मुगलिया स्थित निजी आवास में दबिश दी थी। इस दौरान ईओडब्ल्यू को नकदी, सामान, वाहन, निवेश और 32 संपत्तियों के दस्तावेज मिले थे। आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया गया है।
संपत्तियों का मूल्यांकन बाकी
जानकारी के अनुसार, मां के नाम दर्ज दस अचल संपत्तियों का मूल्यांकन अभी नहीं हो पाया है। वहीं, भोपाल के कोरलवुड स्थित फ्लैट की तलाशी कब्जाधारी की अनुपस्थिति के कारण नहीं की जा सकी है। अब तक आरोपी के पास से कुल 6 करोड़ 75 लाख रुपये की संपत्ति का खुलासा हो चुका है। निवेश से संबंधित दस्तावेजों की जांच अभी शेष है। ईओडब्ल्यू को शासकीय आवास की तलाशी के दौरान 1 लाख 8 हजार रुपये मूल्य की 56 महंगी शराब की बोतलें भी मिली हैं। इस पर गोरखपुर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आबकारी अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया है।
टाइगर की खाल 30-40 साल पुरानी
डीएफओ ऋषि मिश्रा के अनुसार, बरामद की गई टाइगर की खाल लगभग 30 से 40 साल पुरानी प्रतीत होती है। आरोपी के खिलाफ वन्य प्राणी अधिनियम के तहत केस दर्ज कर खाल को जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा जा रहा है, ताकि टाइगर की उम्र और मृत्यु के कारणों का पता लगाया जा सके।